नागौर जिले के मेड़ता शहर की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने इस साल 20 सितंबर को पादुकलां थाना क्षेत्र के एक गांव में सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने के आरोप में 25 वर्षीय व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राठौर ने नागौर पुलिस द्वारा मामले की जांच छह दिनों में पूरी करने और 27 सितंबर को आरोप पत्र दायर करने के बाद लगातार सुनवाई की। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के 29 गवाहों से पूछताछ की, जबकि बचाव पक्ष आरोपी जाट के बचाव में केवल एक गवाह पेश कर सका।
अभियोजक सुमेर सिंह ने कहा कि अदालत ने बचाव पक्ष के गवाह के बयान को खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया था कि आरोपी मानसिक रूप से विकलांग है लेकिन जांच में आरोपी को पूरी तरह से मानसिक रूप से स्वस्थ पाया गया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, लड़की के मामा ने 20 सितंबर को उसे एक कृषि फार्म में ले जाने का लालच दिया था, जहां उसने बच्ची के साथ बलात्कार किया और वहां उसकी हत्या कर दी क्योंकि उसे डर था कि वह परिवार के अन्य सदस्यों को इस घटना के बारे में बता देगी और उसके शव को झाड़ियों के पीछे फेंक दिया।
लड़की की मां की शिकायत पर पुलिस ने पीड़िता का शव बरामद कर लिया और उसी दिन दिनेश जाट को गिरफ्तार कर लिया मामले की जांच में तेजी लाते हुए पुलिस ने महज छह दिनों में पोक्सो कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी और अब अदालत ने आरोपी को मौत की सजा सुनाई है। साथ ही सीएम गहलोत ने अदालत के त्वरित फैसले पर और पुलिस जांच का स्वागत किया।
इससे पहले पांच अक्तूबर को जयपुर की एक अदालत ने 25 साल के एक व्यक्ति को 9 साल की बच्ची के साथ बलात्कार करने के जुर्म में 20 साल की जेल की सजा सुनाई थी, अदालत ने अपराध करने नौ दिनों के भीतर आरोपी को सजा सुनाई थी।