न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
राजस्थान के टोंक जिले का प्रमुख धार्मिक स्थल विश्व प्रसिद्ध डिग्गी श्री कल्याण जी मंदिर है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से 90 किलोमीटर दूर इस मंदिर में भक्त नंगे पैर चलकर और दंडवत करते हुए पहुंचते हैं। डिग्गी कल्याण जी मंदिर का पुनर्निर्माण मेवाड़ शासन के समय 1527 में हुआ था। यहां हर साल लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है।
इस दौरान प्रदेश सहित मध्यप्रदेश से भाी लोग पैदल यात्रा कर श्री कल्याण जी के दर्शन करने और मेले में शामिल होने के लिए आते हैं। इस स्थान को डिग्गीपुरी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में हर दिन भक्तों को तांता लगा रहता है लेकिन, हर महीने पूर्णिमा पर लगने वाले मेले में यहां एक लाख से ज्यादा लोग दर्शन के लिए आते हैं। बुधवार को पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जयपुर के श्री ताड़केश्वर जी मंदिर से श्री डिग्गीपुरी कल्याण जी की 57वीं लक्खी पैदल परिक्रमा को रवाना किया। इसे दौरान उन्होंने कहा कि भगवान कल्याण जी हम सभी पर अपनी कृपा बनाएं रखें, यही मेरी प्रार्थना है।
कई कार्यक्रमों का होता है आयोजन
मंदिर परिसर में कई मेले और उत्सव का आयोजन किया जाता है। कल्याणजी मंदिर में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में वैशाखी पूर्णिमा, हरियाली अमावस, कार्तिका पूर्णिमा, पाटोत्सव, जल झूलनी एकादशी और अन्नकूट के नाम शामिल हैं। श्रावण और भाद्रपद के महीनों में भक्त नंगे पांव पैदल मंदिर आते हैं। डिग्गी में रहने वाले गुर्जर गौड़ वंश के पंडितों द्वारा सेवा की जाती है। यहां इनके करीब 300 परिवार हैं।
जानें क्या है मंदिर का इतिहास?
श्री कल्याण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। श्री कल्याण मंदिर का निर्माण 5600 साल पहले राजा डिगवा ने करवाया गया था। यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है। जिसमें सोलह स्तंभों और शिखर शामिल है। इस मंदिर में आने वाले भक्त पास में ही बने लक्ष्मी नारायण मंदिर में भी मत्था टेक सकते हैं। मंदिर का गर्भगृह, वृत्ताकार पथ और प्रार्थना कक्ष संगमरमर में सुरुचिपूर्ण वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है। मंदिर के सामने प्रवेश द्वार पर आकृतियां खूबसूरती के साथ उकेरे गए हैं।
श्री कल्याण जी स्वयं भगवान विष्णु हैं। देवताओं के हिंदू त्रय में, विष्णु ब्रह्मा की रचना को बनाए तब तक बनाए रखते हैं जब तक कि शंकर जी अंत में इसे नष्ट नहीं कर देते। इस मंदिर में विष्णु स्वयं कल्याण जी के रूप में विराजमान हैं। चार भुजाओं वाली भगवान की मूर्ति सफेद संगमरमर से बनी हुई है। कल्याण का अर्थ है परोपकार और दुख से मुक्ति। यहां के देवता भक्तों को खुशी और कल्याण का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही उन्हें समृद्धि और सांसारिक धन प्रदान करते हैं।
यह कथा भी जानिए
डिग्गी कल्याण जी मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा भी है। कहा जाता है कि एक बार इंद्र के दरबार में कुछ अप्सराएं नृत्य कर रहीं थीं। उन्हें देखकर उर्वशी को हंसी आ गई और इस वजह से इंद्रदेव उन पर नाराज हो गए। उन्होंने उर्वशी को 12 साल तक मृत्युलोक में रहने का दंड दिया। उर्वशी मृत्यु लोक में सप्त ऋषि के आश्रम में रहने लगीं। उनकी सेवा से प्रसन्न होकर ऋषियों ने उनसे वरदान मांगने को कहा, उर्वशी ने उनसे इंद्र के पास वापस जाने का वरदान मांगा। एक दिन राजा दिगवा ने उर्वशी को देखा तो वह उनकी सुंदरता पर मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने उर्वशी को अपने महल में आमंत्रित किया, लेकिन उर्वशी ने उनके निमंत्रण को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह भगवान इंद्र की अप्सरा हैं। इससे नाराज राजा ने भगवान इंद्र को ही युद्ध करने की चुनौती दे डाली।
उर्वशी ने राजा से कहा कि अगर वह इंद्र से युद्ध हार जाते हैं तो वह उसे श्राप दे देगी। भगवान विष्णु से छल करके इंद्र ने युद्ध जीत लिया। जिसके बाद उर्वशी ने राजा को कुष्ठ रोग से पीड़ित होने का शाप दिया। वह एक कोढ़ी बन गया। इससे छुटकारा पाने के लिए राजा ने गहन तपस्या शुरू की। जिससे खुश होकर भगवान विष्णु उनके सामने प्रकट हुए। भगवान विष्णु ने राजा को नदी के किनारे दफन एक मूर्ति के बारे में बताया और कहा कि उसे एक मंदिर में स्थापित करो। मूर्ति को मंदिर में स्थापित करने के बाद वह ठीक हो गया।