कोटा: सवा दो दशक पहले तक कोटा की हॉकी का दबदबा राष्टÑीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अन्तरराष्टÑीय स्तर पर हुआ करता था। कोटा में हॉकी का के्रज इतना था कि एक ही प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कई टीमें तैयार करनी पड़ती थी और हर टीम के खिलाड़ी में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने का जुनून था लेकिन धीरे-धीरे ये के्रज कॉफी कम होता गया और कोटा की हॉकी की पूछ परख काफी कम हो गई। साल 2017 के बाद से फिर यहां के लड़कों में हॉकी का के्रज बढ़ा है लेकिन अभी तक वो स्तर प्राप्त नहीं कर पाए हैं जो ढाई दशक पहले था। कोटा की हॉकी को लेकर हॉकी कोच हर्षवर्द्धन सिंह चूड़ावत ने बताया कि कोटा में हॉकी के बहुत टैलेंटेड बालक और बालिकाएं हैं। कोटा आज से 25 साल पहले हॉकी का सिरमोर हुआ करता था लेकिन हमारे यहां की हॉकी का जादू साल-दर साल कम होता गया और हमारी हॉकी अपनी मूल पहचान खोने लगी। लेकिन हम आज फिर से इस खेल में अपना परचम फहरा सकते हैं। इसके लिए हमें सिर्फ खिलाड़ियों का मैदान तक लाना होगा। हमें हॉकी एस्ट्रोटर्फ की जरूरत है। कोटा के कुछ बालक जयपुर एकेडमी में हैं और इस वर्ष बालिकाओं का भी एकेडमी में सिलेक्शन होने की उम्मीद हैं।
खेल विशेषज्ञ व कोच सुमेर सिंह ने बताया कि हमारे कोटा की पहचान फिर से बने, हमारे खिलाड़ी नये आयाम स्थापित कर सकें इसके लिए हमारे खिलाड़ियों को आधुनिक संसाधन और नियमित अभ्यास के लिए स्तरीय ग्राउंड उपलब्ध करवाने होंगे। यहां पर नियमित अभ्यास के लिए हॉकी का कोई खास मैदान उपलब्ध नहीं है। इनका कहना है कि अगर हमें हॉकी में नए पायदान पर पहुंचना है तो उसके लिए आधुनिक सुख सुविधायुक्त एस्ट्रोट्रफ मैदान की जरुरत है। पहले हॉकी घास के प्राकृतिक मैदान पर ही खेली जाती थी लेकिन आज घास और मिट्टी के मैदान पर खेलकर राष्ट्रीय और अन्तरराष्टÑीय स्तर पर पहुंच पाना मुश्किल है। फिर भी कोटा के खिलाडी 2017 से लेकर आज तक लगातार राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भली भांति कर रहै है। पहले रेल्वे सहित अन्य राजकीय विभाग में खेल कोटे से भर्तियां होती थी तो खिलाड़ियोÞ को खेल के दम पर ही रोजगार मिल जाता था। खेल के जानकारों का कहना है कि हाल ही में राज्य सरकार ने आउट आॅफ टर्न पॉलिसी लाकर खिलाड़ियों को रोजगार के नए अवसर प्रदान किए है। यह राजस्थान सरकार का बहुत ही सराहनीय प्रयास है। खिलाड़ियों को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने का अच्छा प्रयास हैं। यदि कोटा मे आधुनिक सुविधाजनक मैदान का निर्माण हो जाता है तो हाकी खिलाड़ियों को कही ना कहीं बड़ी कामयाबी हासिल करने की दिशा मे एक सार्थक विकल्प उपलब्ध हो सकता है क्योकि हमें भी अन्य राज्यों की तुलना में अपने राज्य को बेहतर बनाने की दिशा में खेलों के लिए माकूल वातावरण की उपलब्धता को सुनिश्चित करना पड़ेगा।
इनका कहना हैं...
आधुनिक हांकी के परिदृश्य मे सबसे अहम भूमिका है आधुनिक संसाधनो की, हमारे कोटा के खिलाड़ियों को भी इसकी आवश्यकता है। अगर ये आधुनिक संसाधन यहां के लड़कों को मिले तो हॉकी में हमारा दबदबा फिर से कायम हो सकता है।
- हर्षवर्द्धन सिंह चूड़ावत, कोच, राजस्थान राज्य खेल क्रीड़ा परिषद।
सालों पहले जो दबदबा कोटा के हॉकी खिलाड़ियों का था वो आज नहीं है लेकिन लगभग 6 सालों से यहां के बच्चे बहुत मेहनत से इस खेल का अभ्यास कर रहे हैं और साल 2017 के बाद प्रदर्शन में भी लगातार सुधार हुआ है लेकिन यहां के खिलाड़ियों को अगर पर्याप्त आधुनिक संसाधन और मैदान उपलब्ध करवा दिया जाएं तो ये और भी अधिक श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं।
- सुमेर सिंह, सचिव, जिला हॉकी एसोसिएशन।