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जयपुर। जिम्मेदार अधिकारियों के सामने राजधानी में ही कई सालों तक नशे का कारोबार फलता-फूलता रहा। हाल ही में पकड़े गए इस धंधे की पड़ताल में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आमेर से जगतपुरा के बीच करीब 25 किलोमीटर की पट्टी में बड़े पैमाने पर नशे का सेवन किया जा रहा है। चिंता की बात यह है कि इसी पट्टी में जयपुर शहर के कई बड़े सरकारी व निजी कॉलेज व विश्वविद्यालय हैं। जहां रोजाना हजारों की संख्या में युवक-युवतियां पढ़ाई करने आ रहे हैं।
दवा की दुकान से दवा की शीशी खरीदने के बाद नशेड़ी उस शीशी को गर्म करके गोली को घोल देते हैं। ड्रग टेस्टिंग ऑफिसर्स के मुताबिक, यह दवा किसी मनोचिकित्सक की देखरेख में ही दी जा सकती है और यह दवा नशामुक्ति केंद्रों या डॉक्टर के क्लीनिक पर ही उपलब्ध है। इस पूरे बेल्ट के विभिन्न नशा तस्करों से प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि शीशी खरीदने के बाद वे मनोचिकित्सकों से इन दवाओं को खरीदते हैं और उसमें घोल देते हैं। गौरतलब हो कि इस मामले में ड्रग कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन और नारकोटिक्स की टीम ने पूर्व में 17 दवा कंपनियों पर यह धंधा किया था।
दवा कारोबारियों से मिले इनपुट के बाद राजधानी जयपुर के एक नामी मनोचिकित्सक की दवाओं की खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। प्रारंभिक जांच के अनुसार 7 मई 2021 से 18 नवंबर 2022 तक अकेले इस विशेषज्ञ ने 70 लाख से अधिक की दवा खरीदी है, जो नशे की शीशियों में घुलने के काम आती है। इस दवा का उपयोग मानसिक रोगियों की लत छुड़ाने के लिए किया जाता है।
Admin4
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