कोटा: कोटा में बार बार हो रहे मौसम परिवर्तन का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है। कभी बारिश तो कभी तेजी गर्मी और अब लू के थपड़े शुरू होने से शरीर मौसम के साथ संतुलन नहीं बिठा पा रहा है। सर्द और गर्म के बीच सामजस्य नहीं बिठाने से लोग बीमार पड़ रहे है। जहां मई के पहले सप्ताह तक बारिश और ठंडक का माहौल था वहीं अब मई दूसरे सप्ताह में भीषण गर्मी शुरू हो गई है। पिछले तीन दिनों से लागातार तापमान में बढोतरी हो रही जिससे अस्पताल में चक्कर आने, लू लगने और शरीर में पानी के मरीजों की संख्या में बढोतरी हुई है। ुइसके अलावा सन बर्न के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। भीषण गर्मी को देखते हुए लू-तापघात के मरीजों की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा विभाग ने लू-तापघात से बचाव व उपचार के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हंै। लू-तापघात के रोगियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। बच्चे, वृद्व, गर्भवती महिलाएं, श्रमिक, यात्री, खिलाड़ी व ठंडी जलवायु में रहने वाले व्यक्तियों को अधिक आक्रांत बताया गया है। तापमान 45 डिग्री पार चल रहा है लेकिन अभी एमबीएस अस्पताल में तापघात के मरीजों के लिए अलग से वार्ड तैयार नहीं किया है। जबकि 15 मई से हीटवेव चलने की मौसम विभाग ने चेतावनी दे रखी है।
एमबीएस में ओपीडी में लगने लगी कतारें
एमबीएस के अस्पताल के अधीक्षक डॉ. दिनेश वर्मा ने बताया कि मौसम में हो रहे बार बार परिवर्तन के कारण एमबीएस अस्पताल की ओपीडी में पिछले एक सप्ताह से लंबी कतारे लगने लगी है। ओपीडी 3 हजार पार चल रही है। अस्पताल में सिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना व शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराने की शिकायत वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा उल्टी दस्त के मरीज भी अस्पताल में आ रहे है। लू लक्षण वाले मरीज आना शुरू हो गए है।
लू-तापघात के लक्षण दिखाई दें तो करें डॉक्टर से संपर्क
सीएमएचओ डॉ जगदीश कुमार सोनी ने बताया कि लू-तापघात के लक्षणों में - सिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना व शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढ़ना, शरीर का तापमान अत्यधिक (105 से अधिक) हो जाना, पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होेना, बेहोंशी जैसी स्थिति बेंहोश जाना। ऐसे में प्राथमिक उपचार,समुचित उपचार के अभाव में मृत्यु भी संभव है। इन लक्षण में लवण पानी की आवश्यकता अनुपात विकृति के कारण होती है। मस्तिष्क का एक केन्द्र जो मानव के तापमान को सामान्य बनाए रखता है, काम करना छोड़ देता है। लाल रक्त कोशिकाएं रक्त वाहिनियों से टूट जाती व कोशिकाओं में जो पोटेशियम लवण होता है व रक्त संचार में आ जाता है। जिसमें हृदय गति शरीर के अन्य अवयव व अंग प्रभावित होकर लू तापघात के रोगी को मृत्यु के मुंह में धकेल देते हैं।
ये करें उपचार
लू-तापघात से प्रभावित रोगी को तुरंत छायादार स्थान पर लिटा दें। रोगी की त्वचा को गीले कपड़े से स्पंज करते रहे तथा रोगी के कपड़ों को ढीला कर दें। रोगी होश में हो तो उसे ठंडे पेय पदार्थ देवें। रोगी को तत्काल नजदीक के चिकित्सा संस्थान में उपचार के लिए लेकर जाए।
ये करें बचाव के उपाय
सीएमएचओ ने बताया कि लू-तापघात से प्राय: कुपोषित बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलाएं, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते हैं। इन्हें सुबह 10 से शाम 5 बजे तक तेज गर्मी से बचाने के लिए छायादार ठण्डे स्थान पर रखने का प्रयास करें। तेज धू में घर से बाहर निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके उचित मात्रा में ठंडे जल का सेवन करके बाहर निकले। थोड़े अन्तराल के बाद ठण्डे पानी, शीतल पेय, छाछ, ताजा फलों को रस का सेवन करें। बाहर निकलते समय छाते का उपयोग करें अथवा कपड़े से सिर व बदन को ढककर रखें। श्रमिकों के कार्य स्थल पर छाया एवं पानी का बंदोबस्त रखें।
इनका कहना है
चिकित्सा संस्थानों के एक वार्ड में दो-चार बैड लू तापघात के रोगियों के उपचार के लिए आरक्षित रखे जाने, वार्ड का वातावरण कुलर व पंखे से ठंडा रखने, मरीज तथा उसके परिजनों के लिये शुद्ध ठंडे पेयजल की व्यवस्था रखने, संस्थान में रोगी के उपचार हेतु आपतकालीन किट में ओआरएस ड्रीपसेट जीएनएस, जीडीडब्ल्यू रिगरलेकटेट, फ्लूड एवं आवश्यक दवाइयां तैयार रखने, चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ को इस दौरान ड्यूटी के प्रति सतर्क रहने के निर्देश जारी कर दिए है। हालांकि अभी लू तापघात के मरीज नहीं आ रहे लेकिन आगामी मौसम को देखते हुए सभी चिकित्सकों को अलर्ट कर दिया है।
- डॉ. जगदीश कुमार सोनी, सीएमएचओ