राजस्थान

निगम के गले की हड्डी बने आवारा श्वान, श्वानशाला बनने के बाद भी श्वानों का नहीं स्थायी समाधान

Admin Delhi 1
1 March 2023 2:33 PM GMT
निगम के गले की हड्डी बने आवारा श्वान, श्वानशाला बनने के बाद भी श्वानों का नहीं स्थायी समाधान
x

कोटा: नगर निगम कोटा दक्षिण के बाद अब नगर निगम कोटा उत्तर में भी श्वान शाला बनकर तैयार हो गई है। जिससे अब पहले से करीब चार गुना श्वानों का बधियाकरण व वैक्सीनेशन हो सकेगा। इसके बावजूद श्वानों की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है। शहर में श्वानों का आतंक पहले से अधिक बढ़ गया है। श्वानों के झुंड हर गली मौहल्ले व मेन रोड पर देखे जा सकते हैं। जिस तरह से श्वानों ने गत दिनों बच्चों से लेकर युवाओं तक को अपना शिकार बनाया है। उससे लोगों में श्वानों के प्रति खौफ बढ़ता ही जा रहा है। श्वानों के बढ़ते आतंक को देखते हुए नर निगम ने श्वानशाला बनाकर उनका बधियाकरण व वैक्सीनेशन भी शुरू कर दिया। लेकिन उसके बाद श्वान अधिक खूंखार होते जा रहे हैं।

तीन दिन पहले बच्चे व बकरी को बनाया शिकार

श्वानों की समस्या से शहर वासियों को स्थायी निजात नहीं मिल पा रही है। यही कारण है कि श्वानशाला बनने के बाद भी श्वानों का आतंक कम नहीं हुआ है। हालत यह है कि तीन दिन पहले भी श्वान ने मकबरा थाना क्षेत्र के भट्टजी घाट में एक बच्चे व बकरी को श्वान ने काट लिया था। वह भी इतनी बुरी तरह से कि बच्ची ही नहीं उसके परिजन भी घबरा गए। बच्ची के साथ ही श्वान ने बकरी को भी अपना शिकार बना लिया।

कोटा उत्तर में भी शुरू हुआ श्वान पकड़ना

शहर से श्वानों को पकड़कर उनका बधियाकरण व वैक्सीनेशन का कार्य पुणे की एनिमल वेलफयर सोसायटी कर रही है। अभी तक यह संस्था कोटा दक्षिण में ही काम कर रही थी। अब इसी ने कोटा उत्तर में भी काम शुरू कर दिया है। इससे पहले जहां एक बार में 33 श्वानों को ही बधियाकरण के बाद कैनाल में कुछ दिन रखा जा रहा था। जिससे सय अधिक लग रहा था और वैक्सीनेशन कम हो रहा था। वहीं अब कोटा उत्तर की श्वान शाला बनने के बाद इसमें करीब चार गुना बढ़ोतरी हो गई है। अब 33 के साथ ही 125 श्वानों का भी बधियाकरण व वैक्सीेनेशन किया जा सकता है।

महापौर पुत्र व महिला पार्षद को बना चुके शिकार

श्वानों के आतंक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है जो विभाग नगर निगम श्वानों की समस्या से निजात दिलाने में जुटा है श्वानों ने उस विभाग के मुखिया महापौर के पुत्र और महिला पार्षद तक को अपना शिकार बना लिया था। कोटा दक्षिण के महापौीर राजीव अग्रवाल के पुत्र को साइकिल पर जाते समय श्वान ने उनके घर के पास काट लिया था। इसी तरह से महावीर नगर क्षेत्र में भाजा की महिला पार्षद को स्कूटी पर जाते समय पैर में काट लिया था। इनके अलावा भी बजरंग नगर समेत कई इलाकों के लोगों को श्वान शिकार बना

चुके हैं।

दक्षिण में 33 व उत्तर में 125 की श्वान शाला

श्वानों की बढ़ती समस्या और शहर वासियों की मांग पर नगर निगम ने श्वानशाला का निर्माण कराया है। बंधा धर्मपुरा में पहले नगर निगम कोटा दक्षिण ने 33 कैनाल वाली श्वान शाला बनाई थी। जिसमें आॅपरेशन थियेटर भी है। वहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा श्वानों का बधियाकरण व वैक्सीनेशन किया जा रहा है। इतने कम कैनल होने से एक बार में बहुत कम श्वानों को बधियाकरण हो रहा था। उसे देखते हुए उसके पास ही अब नगर निगम कोटा उत्तर ने 125 कैनाल वाली श्वानशाला बनाई है। यह भी बनकर तैयार हो गई है। कोटा दक्षिण में करीब 50 लाख से और उत्तर में 76 लाख से श्वानशाला का निर्माण कराया गया है।

इनका कहना है

कोटा उत्तर निगम की श्वानशाला बनकर तैयार होे गई है। संस्था ने श्वानों को पकडना भी शुरू कर दिया है। पहले कुछ लोगों ने विरोध किया तो काम बंद हो गया था। लेकिन अब दो श्वानशाला बनने से पहले से करीब चार गुना से अधिक श्वानों का बधियाकरण व वैक्सीनेशन किया जा सकेगा। जिससे इनका वंश आगे नहीं बढ़ेगा। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन की पालना करके ही काम किया जा रहा है। उससे हटकर कुछ भी करने पर श्वान प्रेमी संस्थाओं के प्रतिनिधि विरोध करने लगते हैं।

-मंजू मेहरा, महापौर, नगर निगम कोटा उत्तर

लोगों का कहना है

श्वानों की समस्या शहर में काफी अधिक है। हर गली मौहल्ले में ये झुंड में खड़े होकर एक साथ बच्चों व वाहन चालकों पर हमला कर रहे हैं। निगम ने श्वानशाला तो बना दी। लेकिन टीकाकरण के बाद उन्हें फिर से उसी जगह पर छोड़ना गलत है। जिससे श्वानों की समस्या कम नहीं हो रही है। इन्हें स्थायी रूप से श्वानशाला में ही रखा जाना चाहिए।

-अनवार अहमद, चंद्रघटा

श्वानों की संख्या पहले से काफी अधिक हो गई है। घर से बाहर निकलते ही श्वान ही श्वान झुंड में नजर आते हैं। आए दिन बच्चों व महिलाओं को काटने के बारे में सुन-सुनकर अब तो इतना डर लगने लगा है कि जहां श्वान नजर आते हैं वहां से रास्ता ही बदलना पड़ता है। श्वानों को तो शहर से बाहर जंगल में छोड़ने पर ही समाधान होगा।

-रंजना खत्री, गुमानपुरा

जिस तरह से शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए पशुओं को शहर से दूर देव नारायण योजना में शिफ्ट किया गया है। साथ ही लावारिस को गौशाला में बंद किया जा रहा है। उसी तरह से शहर को श्वान मुक्त तभी किया जा सकता है जब इन्हें भी स्थायी रूप से यहां से बाहर किया जाए। नगर निगम को इनका स्थायी समाधान करना चाहिए। श्वान पकड़ने का विरोध करने वालों व उनके परिवार के साथ कभी घटना होगी तब उन्हें पता चलेगा।

-राकेश सेन, खेड़ली फाटक

Next Story