राजस्थान

रिसर्च सोसायटी फोर द स्टडी आफ डायबिटीज इन इंडिया का पुष्कर में राज्य स्तरीय अधिवेशन

Admin Delhi 1
6 March 2023 2:39 PM GMT
रिसर्च सोसायटी फोर द स्टडी आफ डायबिटीज इन इंडिया का पुष्कर में राज्य स्तरीय अधिवेशन
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अजमेर: आधुनिकखानपान एवं मेहनत कम करने की प्रवृति केकारण ही विश्वभर में चीन के बाद सबसे ज्यादा मधुमेह रोगी भारत में हैं। हमारे देश का प्रत्येक पांचवां व्यक्ति इस रोग से ग्रसित है और विश्वभर में प्रत्येक दस सैकंड में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। यही हाल रहे तो आने वाले समय में हर तीसरा व्यक्ति इससे पीड़ित होगा और 2025 तक भारत में 69.8 करोड़ लोग इससे ग्रसित हो जाएंगे।

अब यह बीमारी शहरी लोगों के साथ साथ ग्रामीणों में भी बड़ी तेजी से बढ़ रही है। महानगरों में रहने वाले 12 से 14 प्रतिशत लोग इससे ग्रसित हैं। इससे बचने के लिए तीस से चालीस या उससे अधिक आयु में अपने भोजन में मीठे पदार्थ, बाजार के डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड, आइसक्रीम आदि से परहेज करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें नियमित रूप से प्रति वर्ष चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। यह सार निकल कर आया है रिसर्च सोसायटी फोर दा स्टडी आफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) राजस्थान चैप्टर की ओर से पुष्कर में आयोजित दो दिवसीय 10वें राज्य स्तरीय अधिवेशन में।

तेजी से बदलती जीवन शैली, शारीरिक श्रम का अभाव, आनुवांशिक कारण, बदलता खान-पान डायबिटीज को न्यौता देता है। यही नहीं हमारे प्रत्येक सामाजिक एवं धार्मिक उत्सव में मीठे की उपस्थिति ने भी इस बीमारी को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाई है। साथ ही मधुमेह की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण पाश्चात्य संस्कृति की ओर झुकाव, दिनचर्या एवं खानपान में बदलाव, शारीरिक व्यायाम का अभाव है। रक्त में शर्करा की मात्रा अनियमित रहने पर रोगी को भयंकर दीर्घकालीन परिणाम भुगतने पड़ते हैैं जैसे अंधता, पक्षाघात, दिल का दौरा, गुर्दों की बीमारी, पांव में गेंगरीन आदि है।

विद्यार्थी भी जांचें कराएं: डॉ.पारीक

कोटा से आए वरिष्ठ डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. केके पारीक ने बताया कि कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों के बीपी, शुगर, कॉलेस्ट्रॉल सहित सभी तरह की आवश्यक जांचें करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि 75 फीसदी में डायबिटीज एवं बीपी होता है। ओपीडी में आने वाले मरीजों की बीपी और डायबिटीज की जांच अवश्य करानी चाहिए, क्योंकि ये दोनों ही साइलेंट बीमारियां हैं और एक दूसरे के साथ मिलकर एक और एक ग्यारह हो जाते हैं। वर्तमान में हमारे पास बहुत अच्छी दवाएं उपलब्ध हैं। जिनसे डायबिटीज को दूर किया जा सकता है।

भारतीयों में रोग ज्यादा: डॉ.गुप्ता

ग्लास्गो के डॉ.अरविंद गुप्ता ने बताया कि भारतीय जीवन शैली में पर्व, त्योहार, विवाह, जन्मोत्सव सहित अनेक आयोजन होते रहते हैं। जिनमें मिठाइयां और वसायुक्त भोजन की अधिकता होती है। यही कारण है कि हमारे यहां बाल्यावस्था से ही मिठाई की ओर झुकाव बढ़ जाता हैै। नतीजन हमारे देश में मधुमेह रोगियों की संख्या में लगातार प्रतिवर्ष इजाफा हो रहा है। मधुमेह के रोगी को अपनी आयु, व्यवसाय, जीवन शैली के अनुरूप भोजन लेना चाहिए और उसमें अधिक से अधिक अंकुरित दालें, अनाज, हरी सब्जियां, वसा रहित दूध, छाछ, सूप एवं रेशेदार फल, मेवे का सेवन करना चाहिए।

जीवन शैली बदलकर रोकें: डॉ.सामरिया

संयोजक एवं मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ.अनिल सामरिया ने बताया कि डीपीपी शोध के निष्कर्ष के अनुसार आनुंवाशिकता के आधार पर हाइरिस्क व्यक्ति जिन्हें इम्पेनन्ड ग्लूकोज टॉलरेन्स है यदि समय रहते जीवन शैली में परिवर्तन कर शरीर के वजन को सामान्य रखे तो इस रोग को काफी समय तक रोका जा सकता है।

ज्यादा सीखने को मिला: डॉ.लालवानी

नई दिल्ली से आए राजकुमार लालवानी ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में मधुमेह मरीजों से जुडेÞ सब्जेक्ट और टॉपिक को ज्यादा महत्व दिया गया है। कॉन्फ्रेंस से पैराफेरी में कार्यरत चिकित्सकों को अपने मरीजों के उपचार के लिए नवीनतम जानकारी मिली है, जो बहुत महत्वपूर्ण है और मरीजों के उपचार में सहायक होगी।

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