बजट घोषणा के 10 साल बाद भी स्पीच थेरेपिस्ट की नियुक्ति नहीं, सेवा नियम भी नहीं बने
राजस्थान न्यूज डेस्क: मुख्यमंत्री की दस साल पहले की गई बजट घोषणा अब तक पूरी नहीं हो पाई है। बजट घोषणा के अनुसार प्रदेश के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्पीच थैरेपिस्ट के 18 स्थाई पदों पर भर्ती की जानी थी। एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर, जेएलएन अजमेर, आरएनटी उदयपुर, एसपी बीकानेर, जोधपुर एवं कोटा मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में स्पीच थैरेपिस्ट के स्थाई पदों पर भर्ती नहीं होने युवाओं को नौकरी के अवसर नहीं मिल रहे हैं।
भर्ती नहीं होने का प्रमुख कारण चिकित्सा विभाग (अराजपत्रित) की ओर से स्पीच थैरेपिस्ट के सेवा नियमों का नहीं बनना माना जा रहा है। और सेवा नियमों के नहीं बनने से इन पदों पर भर्ती का मामला भी अटक गया है। यहां तक की राजस्थान मेडिकल एज्युकेशन सोसायटी (राजमेस) की ओर से संचालित मेडिकल कॉलेजों के हाल और भी बुरे हैं।
सेवा नियम नहीं बनने व भर्ती नहीं होने का ये हैं साइड इफैक्ट
सरकार की ओर से सेवा नियम नहीं बनने व स्थाई पदों पर भर्ती नहीं होने से बेरोजगारों का सरकारी नौकरी लगने का सपना पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। हकलाना, तुतलाना, बोलना, सुनने में अक्षम होने की वजह से भाषा की दिक्कत, आवाज का भारी रहने वाले मरीज परेशानी झेलने को मजबूर हैं।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।