राजस्थान

ऑनलाइन ठगी करने वाले गिराेह से जुड़े छह आरोपी गिरफ्तार

Admin4
25 May 2023 7:15 AM GMT
ऑनलाइन ठगी करने वाले गिराेह से जुड़े छह आरोपी गिरफ्तार
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कोटा। कोटा गुमानपुरा पुलिस ने ऑनलाइन ठगी करने वाले गिराेह से जुड़े छह आराेपियाें काे गिरफ्तार किया है। आराेपी गेमिंग एप के माध्यम से माेटी कमाई का लालच देकर लाेगाें के बैंकाें में चालू खाता खुलवाकर चेकबुक और एटीएम कार्ड अपने पास रखते थे। गिराेह इन खाताें से ऑनलाइन ठगी के रुपए जमा करवाकर निकालते हैं। आराेपियाें ने काेटा के एक युवक का तीन बैंकाें काे खाता खुलवाया और करीब डेढ़ कराेड़ कर लेनदेन किया। युवक काे अपने खाते से इस लेनदेन का पता चला ताे उसने पुलिस से शिकायत की। पकड़े गए आराेपी गिराेह के लिए कमीशन पर काम करते हैं।
सिटी एसपी शरद चौधरी ने बताया कि 20 मई काे उद्याेगनगर निवासी सतवीर सिंह गुर्जर ने साइबर थाना पर केस दर्ज कराया था, जिसमें बताया कि उसके परिचित छोटू उर्फ अजीत शर्मा ने जयप्रकाश यादव, सत्येन्द्र और अविनाश से मिलवाया। इन्होंने गेमिंग एप से पैसे कमाने का लालच दिया और कहा कि इसके लिए चालू खाता जरूरी है। इसके बाद आराेपियाें ने एचडीएफसी और आईडीएफसी बैंक में 50-50 हजार रुपए और यश बैंक में 25 हजार सिक्याेरिटी जमा करवाकर चालू खाता खुलवा लिया। खातों पर ओटीपी के लिए मोबाइल नंबर जयप्रकाश यादव, सत्येन्द्र और अविनाश ने ही रजिस्टर्ड करवाए। चेकबुक, एटीएम अपने साथ ले गए। 29 अप्रैल को एचडीएफसी बैंक से कॉल आया कि आपके खाते में डेढ़ करोड़ से अधिक का लेनदेन हो चुका है। इसके बाद केस दर्ज कराया।
पुलिस ने डीएसपी अमर सिंह और गुमानपुरा थानाधिकारी मुकेश मीणा के नेतृत्व में टीम ने अनुसंधान के दौरान उनके बैंक स्टेटमेंट का विश्लेषण किया। आराेपी अजीत शर्मा, सत्येन्द्र, अविनाश, पवन, जयप्रकाश, मनीष को नयापुरा चौराहा से गिरफ्तार किया। सीआई मुकेश मीणा ने बताया कि 5 युवक काेटा और एक बारां का है। बारां का मनीष काेराेना में बेराेजगार हाे गया था। वह साेशल मीडिया के माध्यम से इस गिराेह से जुड़ गया। इसके बाद इसने अन्य लाेगाें काे जाेड़ा। यह लाेग केवल कमीशन पर काम कर रहे थे। इनके पास अभी तक केवल 5 से 6 लाख रुपए कमीशन के ताैर पर आया है। यह मुख्य आराेपी काे पहचानते तक नहीं। गिरोह द्वारा बैंक स्टेटमेंट के अनुसार पूरे देश में फर्जी एप्लीकेशन के करोड़ों की ऑनलाइन ठगी की है। इन्हाेंने अन्य लोगों के भी खाता खुलवाकर गिरोह को उपलब्ध करवाए हैं, जिससे ठगी का पैसा जमा होता था। इसमें कई लाेगाें के शामिल हाेने का अंदेशा है। बड़े रैकेट का खुलासा हाे सकता है।
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