राजस्थान

अधिकारियों पर संवेदक भारी,नहीं आई जुर्माने की बारी

Admin4
16 Nov 2022 2:55 PM GMT
अधिकारियों पर संवेदक भारी,नहीं आई जुर्माने की बारी
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कोटा। नगर निगम के प्रशासन व अधिकारियों पर संवेदक भारी पड़ रहे हैं। यही कारण है कि गौशाला में पर्याप्त मात्रा में भूसा व हरा चारा नहीं होने पर संवेदक पर रोजाना दस हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन निगम प्रशासन ने अभी तक किसी पर एक रुपए का भी जुर्माना नहीं लगाया जबकि संवेदक बदल दिए गए। कोटा में नगर निगम तो दो बन गए लेकिन बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला व किशोरपुरा स्थित कायन हाउन कोटा दक्षिण क्षेत्र में हैं। ऐसे में इन दोनों का संचालन कोटा दक्षिण निगम द्वारा ही किया जा रहा है। नगर निगम द्वारा गौशाला व कायन हाउस में लावारिस हालत में लाकर रखे गए गौवंश के रहने और खाने की व्यवस्था भी निगम द्वारा ही की जा रही है। गौवंश के लिए हरा चारा हो या भूसा या फिर पशु आहार। सभी की खरीद निगम द्वारा टेंडर के जरिये संवेदक से की जा रही है। टेंडर की शर्त के अनुसार गौशाला के स्टॉक में करीब 2 हजार क्विंटल भूसा हमेशा रहना चाहिए। उसके अतिरिक्त रोजाना 60 से 80 क्विंटल भूसे की खपत हो रही है। लेकिन हालत यह है कि गौशाला के गोदाम में 2 हजार तो दूर की बात है एक दो दिन तक का भी भूसा नहीं रहता है। उसके बाद भी निगम प्रशासन द्वारा किसी संवेदक पर अभी तक एक रुपए का भी जुर्माना नहीं लगाया गया।
गौशाला में भूसे की तो कभी हमेशा बनी रहती है। हालांकि निगम द्वारा हाल ही में 3-4 दिन पहले भूसे का नया टेंडर किया है। जिसमें भी संवेदक को उसी शर्त की पालना करनी होगी। जिसमें पर्याप्त भूसा स्टॉक में रखना होगा। लेकिन भूसा तो आएगा या नहीं लेकिन गौशाला में पिछले दो ढाई महीने से हरा चारा ही नहीं है। जबकि उसके भी टेंडर जारी किए जा चुके हैं। ऐसे में हरा चारा सप्लाई नहीं करने वाले संवेदक पर भी अभी तक कोई जुर्माना निगम प्रशासन द्वारा नहीं लगाया गया है। कई दिन पहले तो गौशाला का स्टोर खाली पड़ा हुआ था।
गौशाला में अव्यवस्थाओं को लेकर आए दिन शिषायतें होती रहती हैं। भाजपा पार्षदों से लेकर कांग्रेस पार्षद तक कई बार गौशाला का निरीक्षण कर चुके हैं। यहां तक कि कुछ समय पहले नगर निगम कोटा दक्षिण के महापौर ने भूसा सप्ताई में अनियमितता पाई जाने पर जांच की थी। जिसमें घटिया क्वालिटी का भूसा सप्ताई हो रहा था। भूसा कम भी दिया जा रहा था। वहां भूसा खराब पाए जाने के बाद उसमें ाग तक भी लग गई थी। लेकिन उस समय भी संवेदक द्वारा व्यवस्था में सुधार करने की जगह उसे ब्लेकलिस्ट करने का सुझाव दे दिया था। निगम प्रशासन ने उस समय सवेदक बदल दिया लेकिन उस पर जुर्माना नहीं लगाया।
नगर निगम कोटा दक्षिण के भाजपा पार्षदों का कहना है कि नगर निगम ने गौशाला की व्यवस्था के लिए अतिरिक्त आयुक्त अम्बालाल मीणा व राजस्व अधिकारी दिनेश शर्मा को गौशाला प्रभारी नियुक्त किया हुआ है। लेकिन अधिकारियों को गौशाला की परवाह ही नहीÞ है। पार्षदों का कहना है कि आयुक्त राजपाल सिंह जरूर व्यवस्था सुधार का प्रयास करते हैं लेकिन अन्य अधिकारी न तो पार्षदों का फोन उठाते हैं और न ही आमजन का। जिससे गौशाला की व्यवस्थाओं में सुधार तो दूर बिगड़ती ही जा रही है।
गौशाला समिति का अध्यक्ष बनने के बाद से चार माह से रोजाना कई घंटे गौशाला में बिता रहा हूं। वहां भूसे व चारे से लेकर पशु आहार तक की व्यवस्था में जुटे हुए हैं। पशुओं के उपचार से लेकर उनकी मृत्यु दर में कमी के प्रयास किए जा रहे हैं। गौशाला का हर साल का 8 करोड रुपए का बजट है लेकिन वह खर्च कहां हो रहा है। इसकी जानकारी अधिकारियों से ली जा रही है। पर्याप्त भूसा व चारा नहीं होने पर दस हजार रुपए रोजाना के जुर्माने का प्रावधान है लेकिन अभी तक संवेदक पर एक रुपए भी जुर्माना नहीं लगाया गया।
गौशाला में अनियमितता की शिकायतों पर स्वयं गौशाला जाकर जांच की थी। उस समय भूसे की क्वा लिटी सही नहीं होने और भूसा कम सप्लाई होना पाया गया था। उस समय संवेदक पर कार्रवाई के लिए अधिकारियों को लिखा भी गया था। लेकिन अधिकारियों ने संवेदक को बदल दिया जबकि जुर्माना नहीं लगाया। गौशाला में भूसा व हरा चारे का पर्याप्त स्टॉक होना चाहिए। जिससे कभी भी परेशानी होने पर उसका उपयोग किया जा सके। जुर्माने का प्रावधान है तो अधिकारियों को लगाना चाहिए।
गौशाला में भूसे व पशु आहार का पर्याप्त स्टॉक रखने के लिए संवेदक को पाबंद किया हुआ है। टेंडर में भी शर्त जोड़ी हुई है। लेकिन संवेदक द्वारा यदि स्टॉक नहीं रखा जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अभी भूसे का टेंडर किया है। रोजाना के हिसाब से भूसा आ रहा है। स्टॉक भी करवाने का प्रयास किया जा रहा है। अभी तक संवेदक का भुगतान नहीं किया है। उस पर पेनल्टी लगाई जाएगी। वैसे दान दाताओं के सहयोग से भी पर्याप्त मात्रा में भूसा मिला है।
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