जयपुर: गर्मी ने इस बार मार्च में पिछले 122 सालों का रिकॉर्ड तोड़ डाला है. गर्मियों की शुरुआत से ही कहर बरसाने वाली गर्म हवाएं और लू चलने लगी है. जो आम लोगों, जानवरों और प्रकृति पर अपना कहर बरपा रही है. जहां एक ओर आम आदमी रात-दिन पड़ने वाली लू से अपनी जान बचाते भाग रहा है, वहीं दूसरी ओर वन्य जीव-जंतुओं से पेड़-पौधों तक सब इसकी चपेट में आ रहे हैं। बढ़ती गर्मी के साथ लू के कहर से बीते 50 सालों में 17000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। तो आईये आज के इस वीडियो में जानते हैं लू क्या है, लू कब चलती है, किन क्षेत्रों में लू का प्रकोप रहता है, लू लगने के लक्षण क्या है और लू से बचाव कैसे किया जा सकता है
लू क्या है: उत्तरी भारत में गर्मियों में उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम से पूर्व दिशा में चलने वाली धूलभरी, प्रचण्ड उष्ण तथा शुष्क हवाओं को लू कहतें हैं। इस तरह की हवा मई तथा जून के महीनों में चलती हैं। लू के समय तापमान 45° से 50° सेंटिग्रेड तक जा सकता है। गर्मियों के इस मौसम में लू चलना आम बात है। भारत के राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले में सर्वाधिक लू चलती है ।
लू कब चलती है: आसान शब्दों में समझें तो लू का मतलब फंसी हुई गर्म हवा होती है जो तब चलती है जब उच्च वायुमंडलीय दबाव एक क्षेत्र में बन जाता है और 2 या उससे ज्यादा दिनों तक बना रहता है. इस दौरान जब उच्च दबाव 3 हजार से 7600 मीटर की ऊचाई तक मजबूत हो जाता है और ऐसे हालात कई दिनों या हफ्तों तक रह सकते हैं. इसके बाद उच्च दाब वायु को नीचे की ओर ले जाता है और ये फोर्स धरती के पास हवा को बढ़ने से रोकता है. भारत में लू का सबसे भीषण प्रकोप मई तथा जून के महीनों में देखा जाता है। इन महीनों के दौरान तापमान 45° से 50° तक पहुंच सकता है।
किन क्षेत्रों में रहता है लू का प्रकोप : भारत में मार्च के आखिर से जून के दौरान उत्तर-पश्चिमी भारत, मध्य, पूर्व और उत्तर प्रायद्वीपीय भारत के मैदानी इलाकों में हीट वेव यानि लू चलती है. इन क्षेत्रों में आने वाले राज्यों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्से शामिल हैं. इसके अलावा कई बार केरल और तमिलनाडु जैसे तटीय इलाकों में भी लू चलती है.
लू लगने के लक्षण: लू इंसानों के साथ साथ जानवरों को भी प्रभावित करती है. इसके चलते शरीर में पानी की कमी होना, कमजोरी, चक्कर, सिर दर्द जैसे कई लक्षण देखने को मिलते हैं, इसके साथ ही लोगों को मांसपेशियों में ऐठन, उलटी और हीट स्ट्रोक भी हो सकती है. ज्यादा दिक्कत होने पर शरीर में अकड़न, सूजन, बेहोशी और बुखार भी आ सकता है. शरीर का तापमान बढ़ने पर दौरे पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है.
लू से बचाव के उपाय: तेज धूप लगने पर शरीर में पानी की कमी महसूस होने लगती है, जिसकी वजह से प्यास बहुत लगती है और सिर दर्द शुरू हो जाता है। इसके अलावा उल्टी, चक्कर आना, बुखार व पसीना अधिक आना, इसके लक्षण हैं। कई लोग गर्मी की वजह से बेहोश हो जाते हैं, जिसे हीट सिंकोप कहा जाता है। लगातार या अधिक देर तक लू में रहने पर शरीर से पसीना आना बिल्कुल बंद हो जाता है। यदि पसीना आना बंद हो जाए, तो समझ लें, यह हीट स्ट्रोक का लक्षण है। इससे किडनी, लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंग खराब हो सकते हैं यानी यह जानलेवा साबित हो सकता है। लू लगने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए, क्योंकि शरीर को बहुत तेजी से ठंडा करने की जरूरत होती है। इसके लिए शरीर को बर्फ से स्पंज करने के साथ-साथ तापमान को नियंत्रित करने के लिए ड्रिप भी लगाना पड़ सकता है।
लू लगने का सबसे अधिक खतरा बच्चों व बजुर्गों को होता है, क्योंकि उनके शरीर का तापमान नियंत्रित करने का सिस्टम ठीक नहीं होता है। जो लोग धूप में अधिक देर तक काम करते हैं, उन्हें भी लू लगने की आशंका रहती है। शरीर से जितना पसीना निकलता है, उसके अनुपात में इलेक्ट्रोलाइट पानी पीने की भी जरूरत होता है। इलेक्ट्रोलाइट पानी का मतलब होता है कि उसमें पर्याप्त खनिज हों। इसलिए गर्मी में ओआरएस का घोल पीने की सलाह दी जाती है, ताकि शरीर का हाइड्रेशन बेहतर बना रहे। सुबह 11 बजे से दोपहर साढ़े तीन बजे तक लू लगने की आशंका सबसे अधिक रहती है। इस दौरान बाहर धूप में रहने से बचना चाहिए।
बच्चों, बुजुर्गों व महिलाओं को धूप में धुप में बहार निकलने से बचना चाहिए है, इसके अलावा अगर जरूरी हो तो धूप से बचने के लिए छाते का इस्तेमाल करें और सिर व चेहरा कपड़े से ढक कर रखें। एसी के माहौल से सीधे धुप में निकलने से बचें क्योंकि वातानुकूलित कमरे या कार से निकलकर तुरंत गर्म स्थान या धूप में जाने पर शरीर को अपने तापमान में संतुलन बनाए रखने में दिक्कत आती है, इसलिए सर्दी जुकाम शुरू हो सकता है और स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।