राजस्थान: एक परिवार ने जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में हार्ट सर्जरी के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि डॉक्टरों ने सर्जिकल कैंची शरीर के अंदर छोड़ दी, इससे मरीज की मौत हो गई। परिवार के सदस्यों ने कहा, ऑपरेशन के बाद, मरीज की तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई और 12 दिनों के बाद उसकी मौत हो गई। जब परिवार दाह संस्कार के बाद अस्थियां लेने श्मशान घाट पहुंचा, तो उन्हें सर्जिकल कैंची मिली। हालांकि, जब परिवार ने अस्पताल से संपर्क किया, तो उसकी ओर से सभी आरोपों से इनकार किया गया और कहा कि वे झूठ बोल रहे हैं। मृतक के परिजनों ने अब अस्पताल के खिलाफ जवाहर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। शहर के मानसरोवर क्षेत्र निवासी उपेंद्र शर्मा (74) के पुत्र कमल ने शिकायत में आरोप लगाया है कि 29 मई को उसके पिता की तबीयत खराब होने पर उन्हें फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया था।
30 मई की रात करीब 8.30 बजे उसके पिता को ऑपरेशन के लिए ले जाया गया। रात करीब 1.30 बजे उन्हें ऑपरेशन थियेटर से बाहर लाया गया। उन्हें 31 मई की शाम को छुट्टी दे दी गई। बेटे का आरोप है कि घर लाने के दो दिन बाद से ही पिता की तबीयत बिगड़ने लगी। डॉक्टरों से बात करने के बाद उन्होंने कहा कि सब ठीक हो जाएगा, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। इसी बीच 12 जून को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और रात 8.30 बजे उनका निधन हो गया। अगले दिन महारानी फार्म स्थित श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार किया गया। 15 जून की सुबह जब कमल अवशेष लेने श्मशान घाट गए, तो एक जोड़ी सर्जिकल कैंची मिली। कमल का कहना है कि ये सर्जिकल कैंची दिल के पास उसी दिशा में मिली, जिस दिशा में पिता को लिटाया गया था.
फोर्टिस हॉस्पिटल, जयपुर के जोनल डायरेक्टर नीरव बंसल ने कहा किपरिवार का दावा झूठा, निराधार और दुर्भावनापूर्ण है। हमारे पास सर्जरी के बाद की सभी रिपोर्ट और मरीज के एक्स-रे हैं, जो पुष्टि करते हैं कि मरीज के शरीर के अंदर कोई सर्जिकल कैंची या कोई अन्य बाहरी वस्तु नहीं थी। इस बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा के निर्देश पर मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी पूर्व की गई है। कमेटी तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। कमेटी में निदेशक लोक स्वास्थ्य रवि प्रकाश माथुर के अलावा अपर निदेशक अस्पताल प्रशासन सुशील कुमार परमार व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर द्वितीय बीएल मीणा को शामिल किया गया है।