कालेशवर के आस पास ब्यास नदी में हो रहे अवैध खनन से तबाही का मंजर
धर्मशाला। जसवां परागपुर चुनाव क्षेत्र के बीच कालेशवर से लेकर चामुखा तक ब्यास नदी में हो रहे अवैध खनन से इलाके लोग परेशान हैं। राजनीतिक असर रसूख वाले बेखौफ खनन माफिया ने पूरी ब्यास नदी को छलनी कर नदी के प्रवाह को ही बदल दिया है। जिससे इलाके पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पडा है।
इस इलाके में सरकार नहीं बल्कि खनन माफिया का अपना राज चलता है। दिन में ब्यास नदी से रेत व पत्थर निकालने वाले भले ही गायब रहते हों। लेकिन रात होते ही यहां हजारों की तादाद में ट्रक डंपर और ट्रैक्टर नदी में उतर आते हैं। इन वाहनों में रेत और पत्थर जेसीबी और पोकलेन मशीनों से डाला जाता है। वाहनों के आवागमन से लोगों की रातों की नींद हराम हो गई है। इलाके के लोग सरकार व प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं। लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
खनन माफिया नेताओं के कथित गठजोड के चलते चारों ओर तबाही का आलम है। लोग बताते हैं कि यहां सरेआम पोकलेन ओर जेसीबी मशीनों से अवैध खनन हो रहा हैं। ब्यास नदी और आसपास के क्षेत्र में कई फ़ीट गहरे गड्ढे कर दिए गए है। अवैध खनन के कारण गर्मी के मौसम में पानी के सभी स्रोत सूख गए हैं लोगों की उपजाऊ भूमि और बाग बगीचे सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। कई मर्तबा लोगों द्वारा अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार और प्रशासन से गुहार लगाई गई। लेकिन आम जनमानस की आवाज पैसों के मोटे खेल में दब कर रह गई और आज दिन तक कोई कठोर कार्रवाई प्रशासन व सरकार द्वारा नहीं की गई।
पर्यावरण को बचाने व खनन माफिया के खिलाफ लडाई लडने वाले सूर्यवंशी ठाकुर बताते हैं कि खनन माफिया की यहां हुकूमत चलती है। और सरकारी अमला यहां बेबस नजर आता है। नेताओं के गठजोड़ ने तबाही मचा रखी है। माफिया के लोग भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों से मिले हुये है।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।