राजस्थान

सतीश पूनिया ने कहा- संत विजयदास के आत्मदाह की जिम्मेदार कांग्रेस सरकार और सीएम गहलोत

Gulabi Jagat
4 Aug 2022 11:56 AM GMT
सतीश पूनिया ने कहा- संत विजयदास के आत्मदाह की जिम्मेदार कांग्रेस सरकार और सीएम गहलोत
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सतीश पूनिया ने कही ये बात
भरतपुर. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया गुरुवार को संत विजय दास को श्रद्धांजलि (poonia hommage to saint vijaydas) देने के लिए भरतपुर पहुंचे थे. पसोपा जाने से पहले पूनिया ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला. पत्रकारों से वार्ता करते हुए सतीश पूनिया ने कहा कि संत विजय दास के आत्मदाह का यदि कोई जिम्मेदार है तो वह राजस्थान की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं. प्रदेश की कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने का सबसे बड़ा उदाहरण संत विजयदास के आत्मदाह (saint vijaydas self immolation case) की घटना है. यदि सरकार संवेदनशील होती तो शायद यह घटना न होती.
सतीश पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी कुर्सी की सुरक्षा की इतनी चिंता हो गई है कि उन्होंने साधुओं की सुरक्षा और जन सुरक्षा की ही तिलांजलि दे दी है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में अवैध खनन का कार्य सरकार के संरक्षण में फल-फूल रहा है. संत विजय दास की घटना से जनता और संत समाज में आक्रोश है. जनता और संत समाज की हाय सरकार के लिए बहुत बुरी साबित होगी.
सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान में अपराध रुक नहीं रहे हैं और कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है. पूरे देश में राजस्थान अपराध की राजधानी बन गया है. संत के आत्मदाह की घटना के बाद भी सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही. उन्होंने कहा कि घटना को लेकर आगे जो भी कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया होगी उसका भी हम नैतिक समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि संत विजय दास ने घटना से 2 दिन पूर्व भी सरकार को चेताया था. अब सरकार क्षेत्र के ग्रामीणों और साधु-संतों को प्रताड़ित करने का काम कर रही है. साधु ने प्रदेश की सरकार की अराजकता के खिलाफ आत्मदाह किया है.
मर्यादा के भीतर समर्थन था: एक सवाल के जवाब में सतीश पूनिया ने कहा कि 551 दिन तक के आंदोलन के दौरान संतों को भाजपा का एक मर्यादा के भीतर समर्थन था, लेकिन यह सिर्फ एक साधु संत का आत्मदाह नहीं था बल्कि सरकार की पोल खोलने वाली घटना है. इसलिए हमें उचित लगा कि साधुओं का समर्थन करना चाहिए.
सतीश पूनिया ने कहा कि साधु-संतों की मांगों को मान लेना सरकार का दिखावा है. यह तो सांप निकलने के बाद लाठी पीटने वाली बात है. राज्य सरकार को बिना देरी किए साधु-संतों की मांग को मान लेना चाहिए था और पूरे घटना की सीबीआई जांच करानी चाहिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि साधु-संतों ने जिन मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए परिवाद दिया है, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.
साधु-संतों के इस मामले को भाजपा आगे अपना मुद्दा बनाकर बढ़ाने के सवाल पर पूनिया ने कहा कि इसे भाजपा मुद्दा बनाए या न बनाए लेकिन ये समाज और साधु-संतों के लिए अहम मुद्दा है. भाजपा इसको समर्थन जरूर देगी.
पुलिस और एजेंसी का सर्वाधिक दुरुपयोग
सतीश पूनिया ने कहा कि आरोप तो केंद्र पर लगाते हैं लेकिन बीते साढ़े 3 साल के दौरान पुलिस और एजेंसियों का यदि सर्वाधिक दुरुपयोग कहीं हुआ है तो वो राजस्थान में ही हुआ है. अपने ही मंत्रियों की फोन टैपिंग कराने का काम प्रदेश सरकार कराती है. क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में इतनी असुरक्षा की भावना है कि कहीं कोई विधायक उनको छोड़कर भाग न जाए. यह पूरा घटनाक्रम तो राजस्थान की जनता ने देखा भी है कि किस तरह से एसओजी और एसीबी ने कांग्रेस के लोगों के ही खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं.
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