जयपुर: राजस्थान के चुनाव इसी साल होने हैं। ऐसे में राष्ट्रीय नेतृत्व का जिम्मा जेपी नड्डा के बरकरार रखने के साथ ही प्रदेश में भी बतौर चुनावी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को बनाए रखने के आसार हैं। पूनिया को 27 दिसम्बर 2019 को प्रदेशाध्यक्ष का जिम्मा दिया गया था। पिछले माह 27 दिसम्बर को उनके तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। लेकिन चुनावी वर्ष में भाजपा अध्यक्ष बदलने के मूड में नहीं है। नड्डा को अध्यक्ष बनाए रखने में तर्क दिए जा रहे हैं कि वे बीते तीन साल से पार्टी के कामों, फैसलों, राष्ट्रीय स्तर की गतिविधियों, परिस्थितियों, राज्यों के फीडबैक और राजनीतिक समीकरणों से नजदीक से रुबरू हैं। ऐसे में चुनावी वर्ष में उनकी टीम को हटाने और नए अध्यक्ष आने पर उन्हें फिर से सब चीजों को समझने में समय लगेगा। यहीं तर्क राजस्थान में पूनिया के अध्यक्ष बनाए रखने को लेकर भी केन्द्रीय नेतृत्व के देने की चर्चाएं हैं। हालांकि अभी तक इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
तीन प्रमुख बातें पक्ष में
वे तीन साल से अध्यक्ष हैं, ऐसे में पार्टी, मुद्दों, रणनीति, क्षेत्रीय समीकरणों से बेहतर वाकिफ हैं। नए अध्यक्ष के आने पर उन्हें चीजों को समझने में थोड़ा वक्त लगेगा, जबकि चुनाव में भी थोड़ा ही समय है।
वे संघ की पसंद हैं। संघ की मजबूत अनुशंसा पर ही उन्हें तीन साल पहले प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। संघ को अभी भी उनसे कोई गुरेज नहीं है।
जाट वर्ग से आते हैं। प्रदेश की राजनीति में वर्ग का खासा प्रभाव भी है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा भी इसी वर्ग से हैं।