
बूंदी इस बार 9 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इसी दिन कार्तिक मास का स्नान भी प्रारंभ होगा। महीने भर चलने वाले कार्तिक स्नान का समापन 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर महा स्नान के साथ होगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार शरद पूर्णिमा का व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ करना उत्तम रहेगा। इस दिन चंद्रमा चरणों से भरा रहता है। जिनकी जन्म कुंडली, कर्मपत्री, भाग्यपत्री या गोचर में चंद्रमा नीच का हो, डिग्री नीची हो, चतुर्थ, अष्टम, द्वादश भाव तीसरे और छठे भाव में अशुभ दृष्टि दे रहा हो, अशुभ योग दे रहा हो, चंद्र मंत्र का जाप, हवन-पूजा, शंकर भगवान पूजा का महत्व, रुद्री पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप बताया गया है।
3 ग्रह होंगे अपनी राशि में, गजकेसरी में भी होगा शुभ योग शरद पूर्णिमा के दिन बृहस्पति अपनी ही राशि मीन राशि में चंद्रमा के साथ रहेगा। इनके योग से गजकेसरी नाम का एक अत्यंत शुभ योग बनेगा। वहीं बुध ग्रह अपनी ही राशि में सूर्य के साथ रहेगा। जिससे बुद्धादित्य योग बनेगा। इस पर्व पर शनि भी अपनी राशि में ही रहेंगे। जिससे शश योग बना रहेगा। इसके साथ ही तिथि, वार और नक्षत्र के साथ सर्वार्थसिद्धि, ध्रुव और अस्तबल के शुभ नाम बनेंगे। इस तरह सालों बाद सितारों का ऐसा शुभ संयोग बनेगा। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें भी हमें लाभ पहुंचाती हैं। इसलिए इस रात को कुछ देर चांदनी में बैठना चाहिए। ऐसा करने से मन को शांति मिलती है। तनाव दूर हो जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को घर के बाहर दीपक जलाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मकता बढ़ती है।
न्यूज़ क्रेडिट: aapkarajasthan