आधुनिक विधाओं को भी स्वीकारने में सक्षम है संस्कृत भाषा: कलानाथ शास्त्री
जयपुर: जयपुर के युवा कवि डॉ ओमप्रकाश पारीक द्वारा रचित संस्कृत हाइकू की पुस्तक "तुषाराब्जेषु अरुणरश्मय" (ओस कमलों पर सूर्य किरणें ) का लोकार्पण किया गया। भाषा विज्ञानी कलानाथ शास्त्री ने पुस्तक का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होनें कहा कि हाइकू जापानी काव्य विधा है और संस्कृत में इस विधा में रचना कर डॉ पारीक ने संस्कृत साहित्य में अमूल्य योगदान दिया है। इस पुस्तक में मूल कविताएँ आधुनिक जापानी हाइकु व तांका शैली में संस्कृत भाषा में है जिनका हिंदी व अंग्रेजी अनुवाद भी किया गया है। उनका कहना था कि इन नवविकसित विधाओं के संस्कृत में आने से संस्कृत साहित्य अधिक समृद्ध होगा।
90 वर्षीय संस्कृत व भाषा विज्ञानी कलानाथ शास्त्री ने कहा कि संस्कृत देव भाषा है और यह विश्व में बोली जाने वाली सबसे स्पष्ट तथा श्लिष्ट भाषा है। संस्कृत में दुनिया की किसी भी भाषा से अधिक शब्द है। संस्कृत भाषा में प्राचीन शैली और भावबोध की रचनाओं के साथ साथ साहित्य की नवीन शैली और आधुनिक भावबोध की रचनाओं का सृजन खूब किया जा रहा है जो इस भाषा की अद्भुत सृजन क्षमता और जीवंतता का द्योतक है।