राजस्थान

नीमराना रिसॉर्ट फ्रॉड मामले में रिसॉर्ट प्रोजेक्ट ले आउट प्लान हुआ स्वतः

Shreya
6 July 2023 4:01 AM GMT
नीमराना रिसॉर्ट फ्रॉड मामले में रिसॉर्ट प्रोजेक्ट ले आउट प्लान हुआ स्वतः
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अलवर। कोलकाता बेस्ड कंपनी वेदिका संजीवनी प्रोजेक्ट्स और उससे जुड़े वर्तमान एवं पूर्व डायरेक्टरों राजकिशोर मोदी, सिद्धार्थ जयपुरिया, संजय पसारी, राजीव पसारी के काले कारनामों की वजह से नीमराना रिसॉर्ट प्रोजेक्ट का प्रोविजनल ले आउट प्लान स्वतः निरस्त (अवधि पार होने से) हो गया है। क्योंकि राजस्थान की पॉलिसी के मुताबिक इन्हें वर्ष 2014 में ही 6 महीने के अंदर विकास कार्य शुरू करने था। इन्हें अगले 4 साल यानि वर्ष 2018 तक पूर्ण करना था। बता दें कि राज्य सरकार की शक्ति भी इस अवधि को सिर्फ दो साल तक बढ़ाने की थी।

हिंदी और अंग्रेजी में जारी राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी-2010 की गाइड लाइन के क्लॉज संख्या 9 के तहत राजकिशोर मोदी द्वारा जारी प्रोविजनल आवंटन पत्रों की सदस्यता सूची नगर विकास न्यास (UIT) को सौंपी जानी थी। इसके बाद क्लॉज संख्या 10 के अनुसार नगर विकास न्यास द्वारा लीजडीड/रजिस्ट्री निवेशकों के हक में करवाई जानी थी। लेकिन, कंपनी की ओर से आज तक मेंबर लिस्ट (सदस्यता सूची) नगर विकास न्यास (बीडा) को नहीं दी है। टाउनशिप नीति के तहत फर्जी कंपनी के नाम से जारी प्रोविजनल आवंटन पत्रों से करोड़ों रुपए डकारने के बाद इन शातिर निदेशकों ने एक रुपया भी नीमराना प्रोजेक्ट के विकास कार्यों में नहीं लगाया है। इसकी पेनल्टी स्वरूप यह प्रोविजन ले आउट प्लान ही अवधिपार होने के कारण स्वतः निरस्त हो गया है। अब यह कागज के टुकड़े से ज्यादा कुछ नहीं है।

उल्लेखनीय है कि कंपनी के वर्तमान और पूर्व निदेशकों के एक के बाद एक काले कारनामे सामने आ रहे हैं। ये लोग नीमराना रिसॉर्ट में सस्ते प्लॉट देने के नाम पर अलवर, जयपुर और दिल्ली के निवेशकों से करोड़ों रुपए ठग चुके हैं। इनके खिलाफ शाहजहांपुर थाने में निवेशकों ने जाली दस्तावेज बनाकर उनसे धोखाधड़ी करने की एफआईआर दर्ज कराई हुई है। इसमें गिरफ्तारी से बचने के लिए ये लोग इधऱ-उधर भागते फिर रहे हैं। निवेशकों के मुताबिक इन ठगों ने उनके साथ तो करोड़ों की धोखाधड़ी की ही है, इसी जमीन पर बैंकों से 400 करोड़ रुपए का लोन उठाकर भी खा गए।

निवेश के नाम पर DMIC में अवाप्ति से मुक्त कराई थी जमीनः

सूत्रों के मुताबिक इन शातिर ठगों ने पुलिस, कोर्ट, बैंक, निवेशकों से लेकर राजस्थान सरकार तक को चकमा दिया है। नीमराना रिसॉर्ट से जुड़ी जमीन पहले दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर प्रोजेक्ट (DMIC) के दायरे में आ रही थी। लेकिन, इन शातिर ठगों ने इस जमीन को DMIC से यह कहकर अवाप्ति से मुक्त करवा लिया कि वे राजस्थान में 650 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे। इसके बाद सरकार को चकमा देने के लिए कुल 157 एकड़ में से 50 एकड़ जमीन पर प्रोजेक्ट का ले आउट प्लान दिखावे के लिए जारी कर दिया। इसमें भी शर्तों का जबरदस्त उल्लंघन किया गया।

हिंदी नहीं, बंगाली और अंग्रेजी भाषा का चक्करः

निवेशकों के मुताबिक ये शातिर निदेशक कहते हैं कि उन्हें हिंदी समझ नहीं आती बल्कि अंग्रेजी और बंगाली भाषा ही समझ आती है। क्योंकि नीमराना रिसॉर्ट की जमीन के भू-उपयोग धारा 90बी और साइट नक्शा हिंदी में हैं। लेकिन, बैंकों से 400 करोड़ रुपए लोन उठाने में इन्हें हिंदी भी समझ आ गई थी। जो लोन के 400 करोड़ रुपए डकार गए।

बताते हैं कि पहले इस नीमराना प्रोजेक्ट में राजस्थान सरकार की भी 5 प्रतिशत इक्विटी थी। लेकिन, प्रोजेक्ट में फ्रॉड करके राजकिशोर मोदी और राजीव पसारी ने इस प्रोजेक्ट की जमीन पर 400 करोड़ रुपए का लोन वर्ष 2017 में अपने ग्रुप की दूसरी कंपनियों को दिलवा दिया। अब नियमों के मुताबिक 10 प्रतिशत पेनल्टी (जो कि करोड़ों रुपए में है) बनती है। इन पर लगाने से कोई नहीं रोक सकता। क्योंकि प्रोजेक्ट की 50 एकड़ जमीन पहले से ही रिकॉर्ड में नगर विकास न्यास के नाम पर दर्ज है।

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