जयपुर न्यूज: राजस्थान में भाजपा के भीतर चल रही सत्ता की लड़ाई शनिवार को एक बार फिर सामने आ गई। एक ही दिन हुए दो अलग-अलग कार्यक्रमों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने शक्ति प्रदर्शन किया। चूरू जिले के सालासर बालाजी धाम में, राजे ने अपने 70वें जन्मदिन समारोह के उपलक्ष्य पर बालाजी मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया, जो 8 मार्च को मनाया जाता है, लेकिन होली (8 मार्च) के मद्देनजर आगे बढ़ाया गया था। इसी दिन, भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा ने राज्य में पेपर लीक और बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दों के खिलाफ एक विरोध मार्च का आयोजन किया, इसका नेतृत्व पूनिया ने किया। दोनों गुट अपने-अपने कार्यक्रमों में पार्टी कार्यकर्ताओं को बुलाने में व्यस्त थे, इससे कार्यकर्ता भ्रमित हो गए।
जहां पूनिया के समर्थक भाजपा कार्यकर्ताओं को जयपुर में मुख्यमंत्री के आवास का घेराव करने के लिए बुला रहे थे, वहीं राजे खेमे के लोगों ने पार्टी कार्यकर्ताओं से सालासर में उनके जन्मदिन समारोह में शामिल होने का आह्वान किया। राजे और पूनिया के बीच चल रहे शीत युद्ध के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं को समझ नहीं आ रहा कि कि उन्हें किस गुट का समर्थन करना चाहिए। राजे खेमे के एक नेता ने इन दावों को खारिज कर दिया कि वह अपने जन्मदिन समारोह के साथ अपनी ताकत दिखा रही हैं। दूसरी ओर, पूनिया खेमे के एक नेता ने कहा कि शनिवार को जयपुर में हुए आंदोलन में पूरे राज्य के पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए। राजे के एक अन्य समर्थक के अनुसार वह दो बार मुख्यमंत्री रहने के अलावा भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उन्हें बधाई देने पहुंचे, इसका मतलब शक्ति प्रदर्शन नहीं है। जब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि कौन सा गुट अधिक मजबूत होता है, तो एक भाजपा विधायक ने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को गुटबाजी खत्म करने को काम करना चाहिए। नाम न छापने की शर्त पर विधायक ने कहा, हमें एकजुट पार्टी की जरूरत है। यह शक्ति प्रदर्शन राजस्थान में भाजपा के लिए विनाशकारी साबित होगा।