राजस्थान

राजस्थान : सरकारी कर्मचारियों को झटका, वेतन विसंगति दूर करने के लिए गठित कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया

Renuka Sahu
4 Feb 2022 3:44 AM GMT
राजस्थान : सरकारी कर्मचारियों को झटका, वेतन विसंगति दूर करने के लिए गठित कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया
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फाइल फोटो 

गहलोत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए गठित कमेटी का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गहलोत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए गठित कमेटी का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है।सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के करीब साढ़े 8 लाख कर्मचारियों की उम्मीदों को झटका लगा है। राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस निर्णय पर नाराजगी जताई है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पिछली वसुंधरा सरकार ने भी वेतन विसंगतियों को दूर करने के कमेटी दर दर कमेटी बनाकर मामले को लंबा खींच दिया। इसके बाद राज्य में विधानसभा चुनाव की वजह से आचार संहिता लग गई थी। गहलोत सरकार भी वसुंधरा सरकार की तर्ज पर ही काम कर रही है।

तीसरी बार बढ़ाया कमेटी का कार्यकाल
सीएम अशोक गहलोत ने प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की वेतन विसगंति दूर करने और कर्मचारियों की अन्य मांगों के समाधान के लिए 5 अगस्त 2021 को कमेटी का गठन किया था। सेवानिवृत्त आईएएस खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में गठित कमेटी को राज्य सरकार को रिपोर्ट देनी है। गहलोत सरकार ने 1 नवबंर 2021 को कमेटी का कार्यकाल 3 महीने के लिए बढ़ा दिया था। राज्य सरकार ने एक बार फिर 3 फरवरी 2022 को कमेटी का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए 22 महीने बचे है। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि पूरा अंदेशा है कि सरकार एक बार फिर कमेटी का कार्यकाल बढ़ाएगी। इसक बाद राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए आंचार संहिता लग जाएगी। सरकार कर्मचारियों की मांगों का समाधान करना नहीं चाहती है। गहलो सरकार भी वसुंधरा राजे सरकार के तर्ज पर काम कर रही है।
वसुंधरा ने किया था हाई पावर कमेटी का गठन
कर्मचारी संगठनों की विभिन्न मांगों के समाधान के लिए पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने भी मंत्री राजपाल सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी का गठन किया था। कमेटी में मंत्री युनूस खान और रामप्रताप भी शामिल थे। कमेटी ने विभिन्न कर्मचारी संगठनों से वार्ता मामले को लटकाने के अंदाज में। इसके बाद राज्य में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू हो गई। गहलोत सरकार ने सत्ता मे आने पर कर्मचारियों की मांगों के समाधान का वादा किया। लेकिन गहलोत सरकार चौथे साल में प्रवेश कर गई है। कर्मचारियों की मांगे जस की तस बनी हुई है।
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