राजस्थान

राजस्थान: रेगिस्तान में अब साइबेरिया लौटने की तैयारी में प्रवासी परिंदे कुरजां

Kunti Dhruw
24 Feb 2022 2:46 PM GMT
राजस्थान: रेगिस्तान में अब साइबेरिया लौटने की तैयारी में प्रवासी परिंदे कुरजां
x
तापमान बढ़ने के साथ कुरजां के वापस लौटने का क्रम शुरू हो चुका है.

राजस्थान: तापमान बढ़ने के साथ कुरजां के वापस लौटने का क्रम शुरू हो चुका है. खास बात यह है कि आसपास के गांवों में फैली सारी कुरजां एक बार खींचन आती हैं. राजस्थान में सबसे अधिक कुरजां खींचन में आती है. खींचन में इन प्रवासी परिंदों की बेहतरीन देखभाल के साथ ही बेहद सुरक्षित माहौल मिलता है.

खींचन में बरसों से कुरजां की सेवा में जुटे सेवाराम का कहना है कि इस बार कुरजां का आगमन बर्ड फ्लू के साए में अवश्य हुआ, लेकिन बाद में परिस्थितियां इनके अनुकूल होती चली गई. प्रदेश में कुछ स्थान पर पक्षियों की मौत भी हुई, लेकिन खींचन इससे बचा रहा. एक बार परिस्थितियां अनुकूल होने के बाद इनकी संख्या बढ़ती चली गई. गत वर्ष की अपेक्षा इस बार पांच-सात हजार अधिक कुरजां यहां आई. सिर्फ दो-तीन कुरजां की ही इस बार प्राकृतिक मौत हुई. यह संख्या भी गत वर्ष के अपेक्षा कम है. जानें कौन करता है इनके भाेजन की व्यवस्था?
खींचन में इन प्रवासी परिन्दों के लिए यहां का जैन समाज भोजन की व्यवस्था करता है. जैन समाज के लोग चुग्गाघर के लिए ज्वार का गुप्त दान करते हैं. रोजना बीस क्विंटल ज्वार का दाना इनको खिलाया जाता है. इसके लिए समाज की तरफ से कुछ लोग रखे हुए हैं. वे इन पक्षियों को दाना खिलाते हैं. वहीं अन्य समाज के लोग भी अपने सामर्थ्य के अनुसार दाना खिलाते है.
जोधपुर जिले का फलोदी क्षेत्र प्रदेश के सबसे ठंडे और गरम स्थान में माना जाता है. ऐसे में अब यहां तापमान बढ़ना शुरू हो चुका है. इसके साथ ही कुरजां की वापसी की उड़ान शुरू हो चुकी है. सेवाराम का कहना है कि उड़ान भरने को तैयार होने वाला समूह अपने अन्य साथियों से अलग होने के बाद चुग्गाघर के ऊपर कलरव करते हुए बेहद नीचे उड़ान भरते हुए चक्कर लगाते हैं.
सेवाराम का कहना है कि करीब पांच हजार कुरजां एक सप्ताह के दौरान यहां से रवाना हो चुकी हैं. लेकिन आसपास के गांवों में फैली अन्य पांच-सात हजार कुरजां खींचन पहुंच चुकी है. ऐसे में इनकी संख्या का स्तर 35 हजार बना हुआ है. यहां एकत्र होने के बाद ये बारी-बारी से वापसी की उड़ान भरती हैं.

जानें कब भारतीय मैदानों की तरफ उड़ान भरती हैं कुरजां ?
पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि कुदरत ने पक्षियों को कुछ विशेष क्षमता प्रदान की है. इस क्षमता के बल पर कुरजां साइबेरिया के मौसम में शुरू होने वाले बदलाव को पहले से जान लेती है कि अब मौसम बदलने वाला है. मौसम में बदलाव शुरू होते ही हजारों की तादात में कुरजां भारतीय मैदानों की तरफ उड़ान भरना शुरू कर देती हैं. बगैर किसी जीपीएस की मदद के ये पक्षी करीब चार से छह हजार किलोमीटर का सफर तय कर मारवाड़ पहुंच जाती है. इन पक्षियों की टाइमिंग की गणना इतनी सटीक है कि इतने लम्बे सफर में एक दिन भी ऊपर-नीचे नहीं होता. सेवाराम का कहना है कि कुछ बरस से कुरजां लगातार तीन सितम्बर को यहां पहुंच रही है और इस बार भी ऐसा ही हुआ.
इन पक्षियों की नेविगेशन सिस्टम इतना बेहतरीन है कि बहुत अधिक ऊंचाई से ही अपने पुराने स्थान की पहचान करने के बाद ये धीरे-धीरे नीचे उतर आती हैं. फिर कुरजां अलग अंदाज में अपने आगमन की सूचना देती है. खींचन पहुंचते ही सभी पक्षी गांव के ऊपर कलरव करते हुए बहुत नीची उड़ान भर कई चक्कर लगाते हैं. सुरक्षा का पूरा विश्वास होने पर ये नीचे उतर आते हैं.


Next Story