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राजस्थान न्यूज: उठाए सरकार पर सवाल, न्यायिक जांच में ग्रेटर निगम चेयरमैन और निलंबित पार्षद दोषी करार

Gulabi Jagat
13 Aug 2022 5:16 AM GMT
राजस्थान न्यूज: उठाए सरकार पर सवाल, न्यायिक जांच में ग्रेटर निगम चेयरमैन और निलंबित पार्षद दोषी करार
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राजस्थान न्यूज
जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर और तीन अन्य पार्षद अब फंसते नजर आ रहे हैं. न्यायिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद अब सरकार मामले पर लीगल राय ले रही है. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने पूरे मामले पर कानूनी अध्ययन करवाने के निर्देश दिए ताकि चारों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके (Greater Nagar Nigam Councilors). वहीं शुक्रवार को तीनों निलंबित पार्षद शंकर शर्मा, अजय सिंह और पारस जैन न्यायिक जांच की रिपोर्ट की कॉपी लेने सचिवालय के चक्कर लगाते दिखे. इस दौरान उन्होंने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए.
ग्रेटर नगर निगम में एक बार फिर महापौर की कुर्सी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. हालांकि ग्रेटर नगर निगम (jaipur Greater Nagar Nigam) के चेयरमैन जितेंद्र श्रीमाली ने कहा कि यदि सरकार की मंशा वास्तविक रूप से न्यायिक जांच कराने की थी, तो यज्ञ मित्र सिंह देव को कमिश्नर क्यों बनाए रखा. उन्होंने आरोप लगाया कि कमिश्नर रहते हुए सारे गवाह और सबूत उनके अंडर में थे. नियमों में स्पष्ट है कि यदि न्यायिक जांच हो रही है, तो दोनों पक्षों को संबंधित जगह से हटाया जाता है. सरकार ने सौम्या गुर्जर को तो पद से निलंबित कर दिया. लेकिन यज्ञ मित्र सिंह को नहीं हटाया गया.
श्रीमाली ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार ने राजस्थान में जहां भी भाजपा के बोर्ड हैं उन्हें अस्थिर करने का काम किया है. वहीं न्यायिक जांच की कॉपी लेने के लिए डीएलबी और सचिवालय चक्कर काट रहे निलंबित पार्षदों ने आरोप लगाया है कि सरकार के इशारे पर उन्हें न्यायिक जांच की कॉपी नहीं जा रही ताकि उन्हें कोर्ट में जाने से रोक जा सके. पार्षदों ने बताया कि न्यायिक जांच पूरी होने की जानकारी मिलने पर न्यायिक जांच की सर्टिफाइड कॉपी लेने के लिए डीएलबी पहुंचे. वहां से जवाब मिला कि अब तक किसी तरह की पत्रावली नहीं आई है. वहां से सचिवालय में एलएसजी सचिव के पास गए पता लगा कि वो बाहर गए हैं. हालांकि उनके पास भी कोई पत्रावली नहीं आने की सूचना दी गई.
श्रीमाली का दावा है कि चूंकि मामले में कोर्ट से स्टे मिल सकता है, यही वजह है कि उन्हें पत्रावली नहीं दी जा रही. यही नहीं उन्होंने बताया कि जहां न्यायिक जांच हुई वहां अभी पत्रावली तैयार ही हो रही थी. ऐसे में उन्होंने इस न्यायिक जांच की गोपनीयता पर भी सवाल उठाते हुए राज्य सरकार पर ग्रेटर नगर निगम के बोर्ड के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया. उधर, महापौर इस पूरे प्रकरण में कुछ भी कहने से बचती नजर आईं और शुक्रवार को पूरे दिन रक्षाबंधन के पर्व को निगम के अधिकारी, कर्मचारी और होमगार्ड के साथ सेलिब्रेट करती दिखीं.



Source: etvbharat.com


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