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Jaipur जयपुर। राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट से ठीक एक सप्ताह पहले राज्य सरकार ने राजस्थान एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति को मंजूरी दे दी है, जिसका लक्ष्य राज्य की अक्षय ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 125 गीगावाट तक बढ़ाना है। एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति अक्षय ऊर्जा, बायोमास और अपशिष्ट से ऊर्जा तथा ग्रीन हाइड्रोजन की मौजूदा नीतियों का एकीकरण है। विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि 'नवीकरणीय ऊर्जा के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप, राजस्थान एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति-2024 को सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य राज्य की अक्षय ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 125 गीगावाट तक बढ़ाना है।' नीति में फ्लोटिंग, जलाशय शीर्ष और नहर शीर्ष सौर ऊर्जा परियोजनाओं, पंप स्टोरेज परियोजनाओं सहित बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं और 8 मार्च, 2019 के बाद शुरू की गई छोटी जलविद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
नई नीति में सभी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं और पार्कों को सरकारी भूमि आवंटित करने, वर्चुअल पीपीए आधारित सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने, कार्बन ट्रेडिंग, ऊर्जा दक्षता और नेट-जीरो बिल्डिंग के प्रावधान भी हैं। पटेल ने कहा कि इस नीति के तहत 10 मेगावाट तक की परियोजनाओं के लिए पंजीकरण शुल्क घटाकर 5,000 रुपये कर दिया गया है। नीति ऊर्जा भंडारण को भी बढ़ावा देगी।
पंप स्टोरेज परियोजनाओं और बैटरी ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं (बीईएसएस) सहित ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। नीति का उद्देश्य बायोगैस, बायो-सीएनजी को बढ़ावा देना और वर्ष 2030 तक 2000 केटीपीए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ग्रीन हाइड्रोजन वैली की स्थापना करना और न्यूनतम 1 गीगावॉट की इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण इकाइयां स्थापित करना है। मंत्री ने कहा कि बीईएसएस और ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं को विभिन्न प्रकार के लाभ और छूट दी जाएंगी।
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Harrison
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