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राजस्थान: बिना प्रतिबंधों के राज्य में दो साल बाद मनाई जाएगी होली, लोगो ने जमकर खरीदारी शुरू की

Admin Delhi 1
16 March 2022 10:28 AM GMT
राजस्थान: बिना प्रतिबंधों के राज्य में दो साल बाद मनाई जाएगी होली, लोगो ने जमकर खरीदारी शुरू की
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जयपुर: कोरोना महामारी के बाद इस साल राजस्थान में होली बिना किसी प्रतिबंध के मनाई जाएगी। फाल्गुन शुक्त चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा पर 17 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन मध्यरात्रि तक भद्रा का साया होने से इस बार होलिका दहन के लिए सिर्फ 72 मिनट ही मिलेंगे। होलिका दहन का मुहूर्त भद्रा पुच्छ काल में रात 9 बजकर 02 मिनट से रात 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इसके अलगे दिन 18 मार्च को धुलंडी का त्योहार मनाया जाएगा। होली को लेकर बाजार सज चुके हैं। बाजारों में कई तरह की पिचकारियां और रंगों के साथ में अलग-अलग तरह के फेस मास्क भी आ गए हैं। लोगों ने भी इनकी खरीदारी शुरू कर दी है।


होली के लिए बाजार में अलग-अलग तरह की पिचकारी, गुब्बारे और अन्य आकर्षक आइटम आए हैं। प्रेशर वाली पिचकारी 100 रुपये से 350 रुपये तक की उपलब्ध है। टैंक के रूप में पिचकारी 100 रुपये से लेकर 400 रुपये तक में उपलब्ध है। सस्ती पिचकारी 10 रुपए से शुरू होती है, इसके अलावा फैंसी पाइप की भी बाजार में धूम मची है। बच्चे स्पाइडर मैन, छोटा भीम से जुड़ी पिचकारियों को खूब पसंद कर रहे हैं। बाजार में पीएम मोदी व यूपी के सीएम योगी के फेस मास्क भी खूब बिक रहे है। होली की तैयारियों में जुटे शहरों में हर्बल गुलाल की मांग तेजी से बढ़ रही है। पिचकारियों की 100 से भी ज्यादा अलग-अलग वैरायटी उपलब्ध हैं, लोग होली का उत्सव मस्ती के साथ मनाने की तैयारी कर रहे हैं।


ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 17 मार्च को दोपहर एक बजकर 30 मिनट पर पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी, जो अगले दिन 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। होली का पर्व प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। ऐसे में इस बार होली का त्योहार चतुर्दशीयुक्त पूर्णिमा पर 17 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा के साथ ही दोपहर एक बजकर 30 मिनट पर भद्रा शुरू हो जाएगी, जो रात एक बजकर नौ मिनट तक रहेगी। भद्रा में होलिका दहन अशुभ माना गया है, लेकिन शास्त्रों में भद्रा अगर मध्यरात्रि तक रहे तो होलिका दहन का श्रेष्ठ समय भद्रा पुच्छकाल या प्रदोषकाल को बताया गया है। इस बार भद्रा पुच्छकाल रात 9.02 बजे से रात 10.14 बजे तक रहेगा, इस बीच होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा। शास्त्रों में मध्यरात्रि बाद होलिका दहन निषेध माना गया है। इस बार भद्रा रात एक बजकर 09 मिनट तक रहेगी। इस परिस्थिति में भद्रा पुच्छकाल में होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा। शास्त्रों के अनुसार भद्रा के तीसरे चरण की अंतिम तीन घड़ी पुच्छकाल मानी जाती है। पुच्छकाल 72 मिनट का होता है।

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