राजस्थान
राजस्थान सरकार बनाएगी कर्ज राहत आयोग, बैंक नहीं कर सकेंगे किसानों की जमीन नीलाम
SANTOSI TANDI
30 July 2023 7:34 AM GMT
x
जमीन नीलाम
चुनावी साल में राजस्थान सरकार किसानों को लुभाने के लिए बिल लेकर आ रही है। किसान कर्ज राहत आयोग बिल को दो अगस्त को विधानसभा में पेश करके पारित करवाने की तैयारी है। यह बिल पारित होने के बाद किसान कर्ज राहत आयोग बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी फाइनेंशियल संस्था किसी भी कारण से फसल खराब होने की हालत में कर्ज वसूली का प्रेशर नहीं बना सकेंगे। किसान फसल खराब होने पर कर्ज माफी की मांग करते हुए इस आयोग में आवेदन कर सकेंगे।
आयोग से सरकार को किसानों के कर्ज माफ करने या सहायता करने के आदेश कभी भी जारी हो सकते हैं।
हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे अध्यक्ष
राज्य किसान कर्ज राहत आयोग में अध्यक्ष सहित 5 मेंबर होंगे। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अध्यक्ष होंगे।
आयोग में एसीएस या प्रमुख सचिव रैंक पर रहे रिटायर्ड आईएएस, जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके अफसर और एक एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट को मेंबर बनाया जाएगा। सहकारी समितियों के एडिशनल रजिस्ट्रार स्तर के अफसर को इसका सदस्य सचिव बनाया जाएगा।
किसान कर्ज राहत आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा। आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल भी 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी और किसी भी मेंबर को हटा सकेगी।
पूरे जिले को भी घोषित कर सकता है संकटग्रस्त
किसान कर्ज राहत आयोग को कोर्ट जैसे पावर होंगे। अगर किसी इलाके में फसल खराब होती है और इसकी वजह से किसान बैंकों से लिया हुआ कृषि कर्ज चुका नहीं पाता है तो ऐसी स्थिति में आयोग को उस किसान और क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित करके उसे राहत देने का आदेश देने का अधिकार होगा।
कर्ज नहीं चुका पाने को लेकर अगर किसान आवेदन करता है या आयोग खुद अपने स्तर पर समझता है कि हालत वाकई खराब है तो वह उसे संकटग्रस्त किसान घोषित कर सकता है। संकटग्रस्त किसान का मतलब है कि उसकी फसल खराबे की वजह से वह कर्ज चुका पाने में सक्षम नहीं है। संकटग्रस्त किसान घोषित होने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा।
किसान कर्ज राहत आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी।
किसान कर्ज राहत आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी।
आयोग बैंकों से भी बातचीत करेगा
संकटग्रस्त क्षेत्र घोषित करने के बाद आयोग के पास यह भी पावर होगा कि वह बैंकों से लिए गए कर्ज को सेटलमेंट के आधार पर चुकाने की प्रक्रिया भी तय करेगा।
आयोग किसानों के पक्ष में कोई भी फैसला करने से पहले बैंकों के प्रतिनिधियों को भी सुनवाई का मौका देगा। लोन को री-शेड्यूल करने और ब्याज कम करने जैसे फैसले भी आयोग कर सकेगा।
किसानों को दिए जाने वाले कर्ज को लेकर प्रक्रिया तय करने और सरलीकरण के लिए भी आयोग सुझाव दे सकेगा।
आयोग संकटग्रस्त क्षेत्रों में किसानों की हालात को देखते हुए सरकार को अपनी रिपोर्ट में किसानों का कर्ज माफ करने की सिफारिश भी कर सकेगा।
आयोग के फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी किसान कर्ज राहत आयोग को सिविल कोर्ट के बराबर शक्तियां दी गई है। कर्ज राहत आयोग के किसी भी फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। आयोग किसी भी अफसर या व्यक्ति को समन करके बुला सकेगा।
किसान को कर्ज माफी के लिए आवेदन
इस कानून के तहत किसी भी कर्ज से राहत के लिए दावा करने वाला किसान आयोग के सामने आवेदन फाइल करेगा और उसके बाद आयोग अपना फैसला करेगा।
आयोग जिलों में बैठकें और सुनवाई करेगा
किसान कर्ज राहत आयोग समय-समय पर फील्ड में जाकर बैठकें भी करेगा। आयोग ऐसी जगहों पर अपनी बैठकें करेगा, जहां पर उसे आवश्यकता महसूस होगी।
जो इलाके संकटग्रस्त है और जहां फसलें खराब हुई हैं वहां पर खास तौर से किसानों का पक्ष जानने और हालात का जायजा लेने के लिए आयोग के प्रतिनिधि जाएंगे।
कर्ज माफी आयोग की बैठक के लिए 5 में से 3 मेंबर्स का रहना जरूरी होगा। आयोग जिलों में होने वाली बैठकों के लिए 2 या उससे ज्यादा मेंबर्स वाली न्याय पीठ का गठन करके बैठक करेंगे।
किसान कर्ज राहत आयोग के किसान को संकटग्रस्त घोषित करने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा।
किसान कर्ज राहत आयोग के किसान को संकटग्रस्त घोषित करने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा।
यह आयोग सेंट्रलाइज्ड बैंकों और कॉमर्शियल बैंकों से लिए गए किसानों के कर्ज को री-शेड्यूल करने और कर्ज माफी को लेकर भी आदेश जारी कर सकेगा। इसमें शॉर्ट टर्म लोन को मिड टर्म या लॉन्ग टर्म में बदलने के लिए भी री-शेड्यूल करने का आदेश जारी कर सकेगा। ऐसे हालात में आयोग ब्याज माफी के लिए भी बैंकों को सिफारिश कर सकेगा।
प्रॉपर्टी नीलाम नहीं कर सकेंगे बैंक
किसान कर्ज माफी आयोग अगर किसी क्षेत्र को संकट ग्रस्त क्षेत्र घोषित करता है तो ऐसे इलाके में कोई भी बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीटयूशन किसानों से कर्ज वसूली के लिए किसी भी तरह की बिक्री या उसकी प्रॉपर्टी जब्त करने या नीलामी करने की कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगा।
जब तक कि आयोग के पास में केस पेंडिंग रहता है तो किसान के विरुद्ध किसी भी तरह की कोई भी वाद आवेदन अपील और याचिकाओं पर रोक रहेगी।
Next Story