राजस्थान

Rajasthan: भविष्य में हवाई सेवा के लिए इस जगह पर बनाया जा सकता है हवाई अड्डा

Usha dhiwar
30 Dec 2024 4:41 AM GMT
Rajasthan: भविष्य में हवाई सेवा के लिए इस जगह पर बनाया जा सकता है हवाई अड्डा
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Rajasthan राजस्थान: देवली उपखंड क्षेत्र में बहुउद्देशीय बीसलपुर बांध परियोजना एवं केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल प्रशिक्षण केन्द्र स्थित है। भविष्य की कार्ययोजना में राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिरोही गांव के निकट हवाई अड्डा भी बनाया जा सकता है। हवाई सेवा के महत्व के चलते वर्षों पूर्व करीब 4 बीघा भूमि सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को आवंटित की जा चुकी है। राजस्व विभाग में शिक्षण, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान के लिए तीन खसरों में 64 बीघा भूमि आरक्षित है। देवली उपखंड मुख्यालय चार जिलों की सीमाओं का केन्द्र बिन्दु है। इस क्षेत्र के लिए विडंबना यह है कि यहां रेल लाइन नहीं है, जबकि शहर में केन्द्रीय सुरक्षा बल का प्रशिक्षण केन्द्र एवं रिजर्व बटालियन का मुख्यालय है।

यहां जवानों एवं वीआईपी सुरक्षा का नवीनतम प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा प्रदेश की राजधानी जयपुर, अजमेर एवं टोंक जिले की पेयजल आपूर्ति का मुख्य स्त्रोत बीसलपुर बांध परियोजना उपखंड क्षेत्र की पहचान है। ऐसे में रेल सेवा की सख्त जरूरत है। देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं। वैसे तो यहां से जयपुर, कोटा, अजमेर, भीलवाड़ा किसी भी रूट के लिए परिवहन सेवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन हवाई यात्रा के लिए एयरपोर्ट फिलहाल जयपुर के निकट ही है। क्षेत्र के महत्व को देखते हुए वर्षों पहले हाईवे पर सिरोही गांव के पास एयरपोर्ट के लिए भूमि आवंटित की गई है। साथ ही राजस्व विभाग के शिक्षण प्रशिक्षण अनुसंधान के लिए भी भूमि आरक्षित की गई है।

सामान्य प्रशासन विभाग को एयरपोर्ट के लिए दो खसरों में 1.20 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। भविष्य में हवाई सेवा के लिए इस भूमि पर एयरपोर्ट बनाया जा सकता है। इसी प्रकार राजस्व विभाग में शिक्षण प्रशिक्षण अनुसंधान के लिए तीन खसरा नंबरों में 15.98 आरक्षित है। यानी 64 बीघा भूमि आरक्षित है। सरकार की मंशा के अनुसार सिरोही गांव की उक्त भूमि पर राजस्व में एयरपोर्ट और प्रशिक्षण अनुसंधान केंद्र बनाया जाना संभव है। सिरोही गांव में एयरपोर्ट के लिए भूमि आवंटन वर्षों पहले सामान्य प्रशासन विभाग जयपुर के नाम दर्ज है। इसी प्रकार राजस्व विभाग के शिक्षण प्रशिक्षण अनुसंधान के लिए 64 बीघा भूमि आरक्षित है। जब भी सरकार को जरूरत होगी, विभाग इस जमीन का उपयोग करेगा।

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