रेलवे अधिकारियों की नौकरी के लिए 226 संविदा कर्मियों की नियुक्ति करेगा
जयपुर: रेलवे ने जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड (जेएजी) और इससे ऊपर श्रेणी के सभी अधिकारियों को टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलासी (टीएडीके/बंगला खल्लासी) की एक खास सुविधा मिलती थी। पहले इसे बंगला पिओन भी कहा जाता था। बाद में विवाद के चलते इसे बंद कर दिया गया, लेकिन अब इनकी दोबारा भर्ती की जाएगी। हालांकि भर्ती करने का तरीका बदल जा रहा है। अब ये ठेकेदार के जरिए नियुक्त किए जाएंगे।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे द्वारा अफसरों को घर में काम करने के लिए 24 घंटे का एक नौकर मिलता था। इसे बंगला पिओन भी कहा जाता था। बाद में इस पर विवाद हुआ तो इसका नाम बदलकर टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलासी (टीएडीके) किया गया।
इसकी भर्ती के लिए कोई परीक्षा नहीं होती। यानी अधिकारी जिसे चाहे भर्ती कर लेते हैं और वह रेलवे का कर्मचारी बनकर अधिकारी के बंगले पर घरेलू काम करता है। सामान्यत 3 साल तक वह अधिकारी के घर पर काम करता है।
जिसके बाद उसे स्थाई नियुक्ति दे दी जाती है। एक अधिकारी अपने कार्यकाल के दौरान 2-3 बंगला खलासी तक रख सकता है, लेकिन वर्ष 2020 में इसे बंद कर दिया गया और लिखित परीक्षा पास कर ग्रुप डी से आए कर्मचारी को ही बंगला खलासी रखने का आदेश दिया गया। हालांकि लिखित परीक्षा पास कर आए कर्मचारी बंगला खलासी बनाना ही नहीं चाहते थे। तो ऐसे में अब इसे ठेकेदार के जरिए भर्ती करने का निर्णय लिया गया है।