जयपुर देशभर में 1.15 लाख किमी क्षेत्र में फैले रेलवे नेटवर्क से रोज करीब 2 करोड़ से भी अधिक यात्री सफर करते हैं। सफर के दौरान कई बार हादसे की वजह से लोग जख्मी हो जाते हैं। कई बार तो मौत तक हो जाती है।
अगर यात्री को लगता है कि हादसा रेलवे की गलती की वजह से हुआ है, तो इसके लिए वो रेल दावा न्याय अधिकरण (आरसीटी ) में दावा पेश करता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जयपुर स्टेशन के पास स्थित रेल दावा न्याय अधिकरण (आरसीटी) में प्रति माह 15-20 दावे प्रस्तुत किए जाते हैं। इनमें से 50 फीसदी दावे झूठे ही होते हैं। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछ्ले दिनों मुख्यालय में तैनात डिप्टी सीसीएम जसराम मीणा को आरसीटी में प्रेजेंटिंग ऑफिसर (पीओ) लगाया। इसके बाद उन्होंने ट्रिब्यूनल में आ रहे दावों की जांच पड़ताल करना शुरू किया।
उन्होंने सीएलए आलोक माथुर और सोहन सिंह से आने वाले दावों पर विशेष पड़ताल करने के लिए कहा। वहीं इसके लिए सीनियर एडवोकेट सुरेंद्र सिंह नरूका की मदद ली। इसके चलते 2 महीने में 15 ऐसे दावे चिह्नित किए गए, जिनका दावा प्रथम दृष्टया में ही झूठा लग रहा था। ऐसे में जब इनकी विस्तृत जांच की गई, तो ये सभी दावे झूठे पाए गए।
वहीं मीणा, नरूका की विशेष निगरानी से रेलवे के 1.20 करोड़ क्लेम और 35.25 लाख ब्याज बच गया। केस एक- सीनियर एडवोकेट सुरेंद्र सिंह नरूका ने बताया कि रेल से दुर्घटना होने पर रेलवे से इसकी क्षतिपूर्ति (क्लेम) लेने के लिए रेल दावा न्यायाधिकरण जयपुर न्यायपीठ का गठन किया गया है, जिसमें हादसे से संबंधित दुर्घटनाग्रस्त होने पर स्वयं की ओर से या मौत हो जाने पर परिजन की ओर से दावा पेश किया जाता है।