
x
नागौर। शव नहीं लेने पर मृतक के परिजन को एक साल तथा शव की आड़ में विरोध करने पर बाहरी व्यक्ति को पांच साल तक का कारावास होगा। परिजन के 24 घंटे के भीतर अंतिम संस्कार नहीं करने पर यह काम स्थानीय अधिकारी करेगा। इस संबंध नया कानून लागू हो गया है। इसके तहत कार्रवाई शुरू हो गई है। ऐसे किसी भी मामले में भड़काने वाले नेता-जनप्रतिनिधियों को पांच साल तक की सजा हो सकती है। सूत्रों के अनुसार शव को लेकर धरना-प्रदर्शन व आंदोलन के संबंध में राज्य सरकार की ओर से बनाए गए कानून को हरी झण्डी दे दी गई है। संबंधित अधिकारियों को सरकार ने दिशा-निर्देश दिए हैैं कि लिप्त लोगों के खिलाफ इस कानून के तहत अति शीघ्र कार्रवाई करें। जारी दिशा-निर्देश में कहा गया कि शव को कब्जे में नहीं लेने पर परिजन को एक साल की सजा के साथ जुर्माना भरना होगा। कोई शव का उपयोग विरोध करने के लिए करता है या परिजन अन्य किसी व्यक्ति को विरोध करने के लिए शव के उपयोग की सहमति देगा तो उसे दो साल के कारावास के साथ जुर्माना भुगतना होगा। परिजन के अलावा बाहरी कोई व्यक्ति यदि किसी शव को विरोध करने के लिए काम में लेगा तो उसे पांच साल तक की सजा और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा। यही नहीं शव के संबंध में आनुवांशिक (जैनेटिक) डाटा सूचना की गोपनीयता को भंग करने के मामले में तीन से दस साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
सूत्रों की मानें तो पिछले करीब डेढ़ साल में नागौर जिले में शव को लेकर धरना-प्रदर्शन और आंदोलन की करीब पचास घटनाएं हो चुकी हैं। हाल ही में कुचामन-मेड़ता मौलासर के अलावा भी कई बार कभी दो दिन तो कभी पांच-पांच दिन का शव के साथ धरना-प्रदर्शन हुआ है। मुआवजे के साथ आश्रित को सरकारी नौकरी ही नहीं अन्य मांगें भी की जाती रही हैं। कई घटनाओं में थाना प्रभारी निलम्बित हुए तो कई मामलों में बड़े-बड़े नेता तक शामिल हुए। सूत्रों का कहना है कि ऐसे किसी भी मामले में शव परीक्षण की वीडियोग्राफी के साथ फोटोग्राफी होगी। मृत शरीर के आनुवांशिक डाटा की सूचना, डीएनए प्रोफाइलिंग के साथ इसकी गोपनीय रूप से देखभाल होगी। इसके साथ ही राज्य सरकार आनुवांशिक डाटा और बायो लॉजिकल सेंपल का भंडारण करने के लिए डाटा बैंक स्थापित करेगी।
सूत्र बताते हैं कि ऐसी स्थिति में जमा भीड़ या मृतक के परिजन शव को लेकर विरोध करने की कोशिश करते दिखेंगे तो संबंधित पुलिस अधिकारी शव को कब्जे में लेगा। इसकी सूचना कार्यपालक मजिस्ट्रेट और एसपी को देगा। पोस्टमार्टम के लिए नजदीक के अस्पताल में शव को भिजवाएगा। यही नहीं अंतिम संस्कार को लेकर परिजन की इच्छा नहीं दिखने पर मजिस्ट्रेट 24 घंटे में अंतिम संस्कार का नोटिस जारी करेगा। ऐसी स्थिति में कि जब परिजन किन्हीं कारण से अंतिम संस्कार करने में सक्षम नहीं होंगे तो यह समय बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद भी अंतिम संस्कार नहीं होने पर स्थानीय अधिकारी पुलिस अथवा एसडीएम अंतिम संस्कार करवा सकेंगे। जमा भीड़ को देखते हुए भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट अन्य अधिकार काम में ले सकेगा।

Admin4
Next Story