कोटा । पिछले दो साल में शहर में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की मांग बढ़ गई। कोरोना के बाद से मनोरोगियों की संख्या में तीस से चालीस फीसदी का इजाफा हुआ है। मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए जयपुर के बाद कोटा स्थान जहां भी प्रकार की सुविधाए होने से मानसिक रोगियों अच्छे से इलाज हो रहा है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर न्यू मेडिकल कॉलेज में पिछले एक सप्ताह से जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। डॉ. एसएन गौतम ने बताया कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं, इसमें से एक में भी होने वाली समस्या का असर दूसरे की सेहत को भी प्रभावित कर सकती है। कई प्रकार की गंभीर और क्रोनिक बीमारियों जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप आदि के लिए भी तनाव-चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य विकारों को एक कारण माना गया है।
85 प्रतिशत लोग इलाज में नहीं आते आगे
शरीर को तभी सेहतमंद और फिट रखा जा सकता है जब आप मानसिक तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ होंगे। मानसिक स्वास्थ्य आज वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है। इसमें सबसे अधिक दिक्कत यह सामने आ रही है कि मानसिक अस्वस्थता से जूझ रहे 85 प्रतिशत लोग इलाज को आगे ही नहीं आते हैं। उन्हें तो यह तक पता नहीं होता है कि वह मानसिक अस्वस्थता के दौर से गुजर रहे हैं । इनमें से खासकर वह लोग आगे नहीं आते हैं जो मादक पदार्थों के सेवन से जुड़े विकारों से ग्रसित हैं।
कोविड ने सिखाया मानसिक संतुलन बनाने का तरीका
डॉ. मिथलेस खिंची ने बताया कि आत्महत्या करने वाला मरना नहीं चाहता बल्कि वह लक्षण दिखा रहा होता है कि उसे कुछ समस्या है। बच्चें को सही दिशा मिले तो वह अच्छा नागरिक बन जाता है, नहीं तो ओसामा भी बन सकता है। कोविड ने हमें सिखाया है कि व्यक्तिगत मिलने का भी महत्व होता है। कोविड-19 महामारी के बाद से मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं में 30 से 40 फीसदी तक उछाल आया है। कम उम्र के लोगों में तनाव-चिंता और गंभीर स्थितियों में अवसाद की समस्या देखी जा रही है। महामारी ने मनोवैज्ञानिक तौर पर लोगों की सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। कोविड-19 के बाद बढ़े हृदय रोग और हार्ट अटैक के मामलों के लिए भी तनाव-चिंता को प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में वैश्विक स्तर पर लोगों को शिक्षित-जागरूकता करने और सामाजिक कलंक की भावना को दूर करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। मिर्गी आने पर जूता सुंघाने से कभी मिर्गी ठीक नहीं होती है। बुजुर्गों में तनाव अकेलेपन के कारण होने लगता है। उन्होंने कहा कि मानसिक समस्याओं के बोझ का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2019 में कोविड महामारी से पहले विश्व में आठ में से एक व्यक्ति मानसिक विकारों से ग्रसित है। कोविड के ठीक एक साल बाद इस संख्या में 25% का इजाफा हुआ है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति बेहद गंभीर है। यूनिसेफ की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में तकरीबन 14 फीसदी बच्चे भी अवसाद में जी रहे हैं।
मानसिक रोगों के ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
- सिर में भारीपन, सिर दर्द, माईग्रेन, दोना आना
- बेहोश हो जाना, नशों का दर्द, मिर्गी, बेहोशी के दौरे पड़ना।
- उदास रहना, काम में मन नहीं लगना, हमेशा थकान रहना।
- टेंशन एवं चिड़चिडापन नींद व भूख की कमी, घबराहट, एवं चिंता।
- बहुत ज्यादा बोलना, लड़ाई झगड़ा करना।
- एक ही विचार बार बार हाथ धोना, ताले चेक करना आदि।
- नींद संबंधी समस्याएं, याददाश्त में कमी।
- हिस्टीरिया एवं देवी माता का आना।
- बच्चे का पढ़ाई में कमजोर होना
- बिस्तर में टायलेट करना
पिछले दो सालों में कोविड के बाद से ही मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में काफी इजाफा हुआ। मानसिक रोगियों की संख्या में 30 से 40फीसदी का इजाफा हुआ है।