राजस्थान

राज्य सरकार के राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्रदर्शन

Gulabi Jagat
23 Sep 2022 1:17 PM GMT
राज्य सरकार के राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्रदर्शन
x

Source: aapkarajasthan.com

राजस्थान की इस वक्त की बड़ी खबर राजधानी जयपुर से सामने आ रहीं है। राजधानी जयपुर में सदन में पास किए गए राज्य सरकार के राइट टू हेल्थ बिल का विरोध देखने को मिला है। प्रदेश की सरकार आमजन को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के मकसद से राइट टू हेल्थ बिल लेकर आई है। लेकिन अब इस बिल के विरोध में निजी अस्पताल के चिकित्सक उतर गए हैं. जिसके बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और जयपुर मेडिकल एसोसिएशन की ओर से इस बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया है। एसोसिएशन का कहना है कि इस बिल को लाने से पहले सरकार को एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए थी। लेकिन ना तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और ना ही जयपुर मेडिकल एसोसिएशन की ओर से किसी प्रतिनिधि को शामिल किया गया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले निजी डॉक्टर्स और प्राइवेट अस्पतालों के संचालक स्टेच्यू सर्किल पर एकत्रित हुए और इस बिल का विरोध किया। इस मौके पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट डॉ रजनीश शर्मा ने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार आमजन को बेहतर इलाज उपलब्ध करवाए, लेकिन सरकार की ओर से जो राइट टू हेल्थ बिल लाया गया है। इस बिल को लेकर सरकार ने किसी भी प्राइवेट अस्पताल या अस्पताल एसोसिएशन के साथ चर्चा नहीं की है। जबकि सर्विस प्रोवाइडर में निजी अस्पतालों को भी रखा गया है। ऐसे में इस कानून से मरीज के साथ-साथ चिकित्सक भी परेशान होंगे।
डॉ रजनीश का कहना है कि इस बिल में कहा गया है कि कोई भी अस्पताल मरीज को इलाज देने से मना नहीं कर सकता है। लेकिन किन अस्पतालों को इस बिल के दायरे में लाया जाएगा। इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. क्योंकि पेट का डॉक्टर सिर का इलाज नहीं कर सकता है। इसके अलावा एसोसिएशन का यह भी कहना है कि कोई भी प्राइवेट अस्पताल निशुल्क इलाज नहीं कर सकता है। इसके लिए सरकार ने सरकारी अस्पताल खोल रखे हैं। वहीं जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अनुराग धाकड़ का कहना है कि सभी चिकित्सक मरीजों को बेहतर इलाज देना चाहते हैं। लेकिन सरकार जो राइट टू हेल्थ बिल लेकर आई है उसमें कई खामियां हैं। सबसे पहले तो सरकार को चिकित्सकों के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए था। ताकि इस बिल में आ रही खामियों को दूर किया जा सके. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और अस्पतालों के अधीक्षकों को भी प्राधिकरण में शामिल किया जाना चाहिए था।
आज प्रदेश के निजी अस्पताल तकरीबन 60 फ़ीसदी से अधिक मरीजों का इलाज पूरे प्रदेश में कर रहे हैं। लेकिन उनका प्रतिनिधित्व इसमें शामिल नहीं किया है। वहीं इस बिल में कहा गया है कि इमरजेंसी के दौरान निजी अस्पतालों को बिना किसी शुल्क के मरीज का इलाज करना होगा, लेकिन इसका भुगतान कौन करेगा. इस बारे में अभी कोई जानकारी बिल में मौजूद नहीं है।
Next Story