टोडायसिंह: बाल अधिकार सप्ताह व बाल विवाह मुक्त टोंक अभियान अंतर्गत ग्राम पंचायत पंवालिया में विशेष ग्राम सभा व बाल पंचायत का आयोजन कर जिसमें पवालियाँ ग्राम पंचायत को बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायत बनाने का प्रस्ताव सर्व सहमति से पारित कर बढ़ा कदम उठाया साथ ही कई ऐसे प्रस्ताव भी पारित हुए, जो बाल संरक्षण व शैक्षिक उन्नयन को नई दिशा देगें। इस संबंध में बाल विवाह मुक्त टोंक अभियान प्रभारी व एक्शनएड-यूनिसेफ जोनल कोर्डिनेटर जहीर आलम ने बताया कि जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल के दिशानिर्देश में टोंक जिले में जिला प्रशासन, बाल अधिकारिता, महिला अधिकारिता, शिक्षा विभाग, नेहरू युवा केंद्र, भारत स्कॉउट गाईड व एक्शन एड-यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में बाल विवाह मुक्त टोंक अभियान चलाया जा रहा है साथ ही किशोरी सशक्तिकरण, बाल संरक्षण हेतु तथा लिंग आधारित भेदभाव व बाल विवाह रोकथाम के लिए कई तरह की गतिविधियों के आयोजन किये जा रहे हैं। अभियान् के प्रथम चरण में प्रत्येक उपखंड व तहसील से दस- दस गाँवो बाल विवाह मुक्त घोषित किये जाने है। इसी क्रम में ग्राम पंचायत पवालियाँ के भारत निर्माण राजीव गाँधी सेवा केंद्र में बाल अधिकार सप्ताह के अंतिम दिन विशेष ग्राम सभा व बाल पंचायत का आयोजन किया गया। सभा में उपसरपंच दुर्गा देवी, पंचायत सहायक, हेमराज चौधरी, रामेश्वर, ग्राम साथिन स जन कंवर सैन, आशा प्रेमलता, सहायिका रिंकू साहू, संरक्षण अधिकारी रामसहायक पारिक, सुरेश कुमार आदि किशोरियों, महिलाओं व बच्चों ने भाग लिया।
पंचायत सहायक, हेमराज चौधरी द्वारा जानकारी दी गई कि पंचायत द्वारा लोगों को बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों की रोकथाम हेतु नियमित रूप से जागरूक किया जा रहा है, और इस दौरान गाँव में कोई बाल विवाह नही हुआ है, गांव में 18 वर्ष तक के सभी बच्चे शिक्षा से जुड़े हुए हैं, कोई बालिका ड्रॉपआउट नहीं है, स्कूल में पीने का साफ पानी, शौचालय व सुरक्षा सहित गांव में किशोर किशोरी समूह संगठित हैं जो बाल विवाह सहित बाल संरक्षण पर नियमित बैठकों के जरिए गांव वालों को जागरूक करते रहते हैं। इसके उपरांत पंचायत सहायक द्वारा बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायत का प्रस्ताव पढ़ कर सुनाया व सर्व सहमति से पारित किया साथ ही पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति व बाल विवाह रोकथाम समिति का भी गठन किया गया। इससे पहले संरक्षण अधिकारी रामसहायक पारिक ने किशोरी सशक्तिकरण, बाल संरक्षण, लिंग आधारित भेदभाव व बाल विवाह रोकथाम विषय पर चर्चा कर लोगों को संकल्पित किया गया कि लड़कों का 21 वर्ष और लड़कियों का 18 वर्ष से कम उम्र में विवाह न करें।