राजस्थान

पश्चिमी विक्षोभ से धुला चंबल नदी का प्रदूषण

Admin Delhi 1
5 May 2023 3:00 PM GMT
पश्चिमी विक्षोभ से धुला चंबल नदी का प्रदूषण
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कोटा न्यूज़: पश्चिमी विक्षोभ के चलते पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश जलीय जीवों के लिए राहत लेकर आई है। पश्चिमी विक्षोभ की मेहरबानी से राजस्थान और मध्यप्रदेश के लिए जीवनदायिनी चंबल नदी में प्रदूषण घुल गया है। ऐसे में पानी में जी रहे जीवों की सांसों पर फिलहाल संकट समाप्त हो गया है। कोटा शहर के समीप बह रही चंबल नदी से केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा लिए गए नमूनों में पानी की मात्रा स्वच्छ पाई गई है, जो चंबल नदी में जलीय जीवों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है।

3 से कम हुई बीओडी की मात्रा

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने प्रदूषण नियंत्रक मण्डल को चंबल नदी के पानी का प्रदूषण जांचने के आदेश दिए थे। इसके बाद वर्ष 2018 में चम्बल नदी के पानी के नमूने संकलित किए गए थे। उस समय कोटा की चम्बल नदी में बॉयो केमिकल आॅक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर 5.5 सामने आया था। इसके बाद वर्ष 2019 में भी पानी के नमूने लिए गए थे। इनकी जांच करने पर पता चला कि बीओडी का आंकड़ा 5.75 तक पहुंच गया है। इस साल साल फरवरी माह में नमूने लेकर जांच की गई तो पानी में बीओडी का स्तर 6 से अधिक पाया गया था। अब गत दिनों हुई बेमौसम बारिश के बाद पानी के नमूने लिए गए तो बीओडी की मात्रा 3 से कम आई है। यानी फिलहाल चंबल का पानी स्वच्छ हो गया है। उल्लेखनीय है कि एक लीटर पानी में बीओडी की मात्रा 3 मिलीग्राम से कम होने पर उसे सुरक्षित माना जाता है।

ऐसे घटा प्रदूषण का ग्राफ

- वर्ष 2018-5.5 बीओडी

- वर्ष 2019-5.75 बीओडी

- वर्ष 2022-6.00 बीओडी

- वर्ष 2023-2.98 बीओडी

पहले 351 प्रदूषित नदियों में थी शामिल

पिछले साल केन्द्रीय प्रदूषण मंडल ने देशभर की नदियों के पानी के नमूने लेकर जांच की थी। इसके बाद नदियों के जल में प्रदूषण के स्तर की जांच के आधार पर आंकड़े जारी किए गए थे। इसमें देश भर की 351 नदियों में प्रदूषण का स्तर अधिक पाया गया था। इनमें चंबल नदी को भी शामिल किया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले कुछ सालों में चंबल नदी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा था। इससे चंबल नदी में बढ़ता प्रदूषण सेंचुरी के घड़ियाल, मगरमच्छ व अन्य दुर्लभ जलीय जीवों के लिए खतरा साबित हो सकता है। रिपोर्ट में कोटा में 22 और केशोरायपाटन में छह अत्यधिक प्रदूषित ड्रेन चिन्हित किए थे। चंबल में प्रदूषण का कारण भी इन डेÑनों को माना गया था।

इन जलीय जीवों की भरमार

चंबल नदी कोटा शहर के लोगों के साथ जीवों के लिए भी संजीवनी का कार्य कर रही है। यहां पर घड़ियाल, मगरमच्छ, डाल्फिन और कछुओं की भरमार है। पानी की उपलब्धता भरपूर होने के कारण इन जलीय जीवों का कुनबा तेजी से बढ़ा है। इनके अलावा चंबल का रूख करने वाले प्रवासी पक्षियों की तादात में भी बढ़ोतरी होती जा रही है। यहां पर इंडियन स्कीमर, रिवर टर्न, ब्लैक बेलीड जैसे पक्षियों ने भी चंबल नदी को अपना आशियाना बना रखा है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि चंबल नदी का जल स्वच्छ होने से पक्षियों की तादात में बढ़ोतरी होती है। स्वच्छ जल के आधार पर ही पक्षी यहां पर अपना डेरा जमाते हैं।

ऐसी है हमारी चंबल

चंबल नदी की कुल लम्बाई 965 किलोमीटर है और यह मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बहती है। इसका उदगम स्थल इंदौर के पास विन्ध्य पर्वतमाला है, जिसकी ऊंचाई 843 मीटर है। चम्बल का जलग्रहण क्षेत्र 143219 वर्ग किलोमीटर है। अपने उदगम से लेकर 346 किलोमीटर आगे तक यह नदी मध्य प्रदेश में बहती है, इसके बाद 225 किलोमीटर राजस्थान में बहती है, फिर 217 किलोमीटर लम्बी सीमा राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच बनाती है, 145 किलोमीटर लम्बी सीमा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच बनाती है और फिर 32 किलोमीटर का रास्ता उत्तर प्रदेश में तय करने के बाद जालॉन के पास यमुना में मिल जाती है। चम्बल नदी के एक लम्बे क्षेत्र को वर्ष 1979 से चम्बल वन्यजीव अभयारण्य के तौर पर घोषित किया गया है, जहां मछली पकड़ना भी मना है।

चंबल नदी के पानी में प्रदूषण का खतरा हमेशा बना रहता है। पूर्व में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की रिपोर्ट में चम्बल नदी को प्रदूषित माना था। फिलहाल नदी में प्रदूषण की मात्रा कम होने से राहत मिली है, लेकिन यह अस्थाई है। अब आगे भी चंबल नदी का जल प्रदूषित नहीं हो इसके लिए सरकार को विशेष प्रयास करना चाहिए।

- डॉ. मुकेश गर्ग, पर्यावरणविद्

चंबल नदी में प्रदूषण की स्थिति जांचने के लिए समय-समय पर पानी के नमूने लिए जाते हैं। गत दिनों में नमूने लेकर जांच की गई थी जिसमें बीओडी की मात्रा 3 मिलीग्राम से कम आई है। ऐसे में फिलहाल चंबल का पानी स्वच्छता की श्रेणी में है।

- अमित सोनी, क्षेत्रीय प्रबंधक, प्रदूषण नियंत्रण मंडल कोटा

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