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श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर जिले में पेन किलर दवाओं को नशे में इस्तेमाल होने पर नशेड़ियों की मौज लगी हुई है। वहीं नशे की लत की बढ़ती संख्या को देखते औषधि विभाग के जयपुर स्थित निदेशालय की टीम ने श्रीगंगानगर और रायसिंहनगर में एक ही परिवार की अलग-अलग दवा फर्मों की जांच की तो बड़े पैमाने पर इन पेन किलर दवाओं के बेचान का मामला सामने आया है। जिला मुख्यालय पर एक प्राइवेट स्कूल के सामने स्थित मेडिकल एजेंसी पर जयपुर के आठ अफसरों और हनुमानगढ के दो अधिकिारयों कुल दस अधिकारियों की अगुवाई में दबिश दी। इस एजेंसी में प्रीगाबालिन साल्ट के कैप्सूल काफी मात्रा में मिली। जब इस दुकान से अन्य जगह सप्लाई करने के संबंध में पूछताछ और लेपटॉप पर आपूर्ति किए गए ठिकानों की सूची देखी तो जांच अधिकारियों में खलबली मच गई।
इस दवा के अलावा अन्य साल्ट की दवाइयां रायसिंहनगर में इसी परिवार के सदस्य की ओर से संचालित दुकान पर बेचने की जानकारी आई। इस कार्रवाई में जयपुर के दो सहायक औषधि नियंत्रक व पांच दवा निरीक्षक के अलावा हनुमानगढ़ के दो अधिकारी भी शामिल में थे। जयपुर के सहायक औषधि नियंत्रक अजीत जैन ने बताया कि श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर हुई कार्रवाई के तार रायसिंहनगर एक मेडिकल से जुड़े होने के कारण टीम दोपहर दो बजे रायसिंहनगर पहुंची। इस कार्रवाई की भनक लगने पर संबधित मेडिकल स्टोर संचालक दुकान बंद कर मौके से गायब हो गया। उन्होंने बताया कि जब्त की गई दवाइयों में प्रीगाबालीन कैप्सूल व केरीसोमा नामक टेबलेट्स है। बताया जा रहा है कि रायसिंहनगर में औषधि विभाग की कार्रवाई की सूचना मिलने पर संबंधित ई मित्रा संचालक अपनी दुकान पर पड़े दवाइयों के कार्टून पास की डीजे साऊंड की दुकान में छुपाने का प्रयास कर रहा था। लेकिन तब तक पुलिस व औषधि विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर इन दवाइयों को जब्त कर लिया।
प्रीगाबालिन दवा डॉक्टर के लिखे गए पर्चे पर दी जाती हैं। इस दवा के 75 एमजी के कैप्सूल को बेचान करने पर रिटेलर को पूरा रेकार्ड रखना होगा। लेकिन इस दवा के 150 एमजी और 300 एमजी के कैप्सूल की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया हें। इस दवा का उपयोग विशेष रूप से नसों में दर्द, मिर्गी, मानसिक या अवसाद में रहने वाले रोगियों के लिए दिया जाता हैं। इसके अलावा पैन किलर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह खुराक ज्यादा लेने पर रोगी के गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। यह सही है कि दर्दनिवारक दवाओं का अब नशे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। अब तक एनडीपीएस घटक की दवाइयों की धरपकड़ होती थी। ऐसे में नशेड़ी व विक्रेता अब दर्द निवारक दवा को विकल्प के रूप में काम में लेने लगे हैं। जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट ने तीन साल्ट की दवाओं पर खुलेआम बेचने पर एक आदेश जारी किया है। इन दवाओं को डॉक्टर की पर्चियों के आधार पर बेचना बताया गया है।
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