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धौलपुर। डांग के कुख्यात डकैत केशव गुर्जर के बाद उसके दो साथियों बंटी पंडित और नरेश गुर्जर से मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने अवैध हथियार भी बरामद किया था. उसमें एक नकली राइफल भी मिली थी, जो पुलिस के लिए रहस्य बनी हुई है. यह हथियार काफी पुराना है और कई साल पहले चलन से बाहर हो गया था। बावजूद इसके यह गिरोह इस तात्कालिक हथियार से डांग में आतंक फैला रहा था. केशव के बाद पुलिस ने उसके भाई नरेश व साथी बंटी के पास से एक पचफेरा व एक अठफेरा हथियार समेत कई कारतूस बरामद किए थे. बताया जा रहा है कि अथफेरा हथियार का इस्तेमाल ब्रिटिश शासन के दौरान किया जाता था और वर्तमान में ये हथियार लोगों के घरों की शान बढ़ा रहे हैं. फिलहाल पुलिस इन हथियारों को लेकर डाकुओं से पूछताछ में जुटी है। पुलिस को शक है कि ये हथियार डकैत गिरोह ने किसी घटना में लूटे हैं या किसी हथियार सप्लायर से खरीदे हैं. पुलिस ने इस रहस्य को सुलझाने के लिए रेंज में सक्रिय हथियार सप्लायरों की तलाश शुरू कर दी है.
धौलपुर के सैनिकों ने ब्रिटिश सेना की ओर से द्वितीय विश्व युद्ध में भी भाग लिया था। द्वितीय विश्व युद्ध 1914-1919 तक चला। इस विश्वयुद्ध में धौलपुर के तत्कालीन महाराजा की ओर से मोरोली गांव के 200 सैनिक ब्रिटिश सेना के साथ विदेश गए थे। महायुद्ध के दौरान इनमें से 50 सैनिक अलग-अलग जगहों पर शहीद हुए थे। उनकी याद में तत्कालीन महाराजा ने यहां वर्ष 1922 में पुरानी सब्जी फाटक के पास शहीद स्मारक बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि जिन सैनिकों के पास हथियार बच गए थे या जिन्होंने द्वितीय विश्व में जमा नहीं किए थे। चोरी या खरीदे गए हथियारों में से एक डकैत गिरोह के हाथ लग गया होगा। हालांकि पुलिस फिलहाल कुछ भी स्पष्ट रूप से बताने की स्थिति में नहीं है। पुलिस ने केशव गुर्जर गिरोह और उसके साथियों के पास से कई हथियार और सैकड़ों कारतूस बरामद किए हैं. पुलिस ने नरेश के कब्जे से 306 बोर का पिस्टल व 55 जिंदा कारतूस, डकैत बंटी के पास से 306 बोर का पिस्टल व 44 जिंदा कारतूस बरामद किया है. इसी तरह केशव के पास से एक हथियार व कारतूस भी बरामद हुआ है। पुलिस अब अथफेरा हथियार के कनेक्शन की तलाश में जुट गई है। पुलिस को कुछ अवैध हथियार सप्लायरों पर शक है।
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