45 माह में भी नगर निगम की स्थाई समितियों का गठन नहीं हो सका
भरतपुर: नगर निगम चुनाव के 45 महीने बाद भी स्थायी समितियों का गठन नहीं हो पाया है। इससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के पार्षदों में नाराजगी है। इधऱ, स्थायी समितियां नहीं बनाए जाने से नाराज पार्षद अब महापौर की घेराबंदी करने में जुट गए हैं।
अधिकांश पार्षद सवा साल बाद होने वाले वार्डों के चुनावों में फिर से उतरना चाहते हैं। ऐसे में जनसमस्याओं के निराकरण कराने के लिए उनके पास कम समय ही बचा है। उन्हें चुनावों में मतदाताओं को चेहरा दिखाना पड़ेगा। निगम मोटी रकम खर्च करने के बावजूद शहर को स्वच्छ नहीं बना पाया। दूसरी ओर यूडी टैक्स ने आग में घी का काम कर रखा है। पार्षदों का कहना है कि मेयर शुरुआती दो सालों तक कोरोना के बहाने समितियों का गठन टलना बताते रहे। बाद में कहने लगे कि अधिकारों का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। अब नगर निगम पार्षदों और स्थायी समितियों के अधिकारों का अतिक्रमण कर रहा है। नगर पालिका अधिनियम के तहत विभिन्न कामों के लिए नगरीय निकायों को कम से कम 6 स्थायी समितियां बनाना जरूरी है। हालांकि इनकी संख्या 8 तक भी हो सकती है। न्यूनतम स्थायी समितियों में वित्त समिति, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति, भवन अनुज्ञा समिति, गंदी बस्ती सुधार समिति, नियम उपविधि समिति और अपराध शमन एवं समझौता समिति हैं। जवाहर नगर के सामने स्थित त्रिमूर्ति गार्डन में रविवार को पार्षदों की बैठक हुई।
पार्षद पंकज गोयल की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में आगामी रणनीति पर चर्चा की गई। विचार विमर्श के बाद यह निर्णय किया गया कि महापौर की मनमानी पर दो दिन जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। बुधवार को सुबह 10 बजे नगर निगम प्रांगण में पार्षद एकत्र होंगे। बैठक में पार्षद भूपेंद्र शर्मा, चंदा पंडा, पार्षद विष्णु मित्तल, पार्षद नरेंद्र सिंह, पार्षद भगवान सिंह एवं नेता प्रतिपक्ष रूपेंद्र सिंह उपस्थित थे। ^मेयर अधिकारों को विकेंद्रित नहीं होना देना चाहते। इसलिए कमेटियों का गठन नहीं किया है।