राजस्थान

सदियों से होली के दिन लोग मनाते हैं शोक, 13 दिन बाद लखेलते है होली

Shantanu Roy
8 March 2023 12:09 PM GMT
सदियों से होली के दिन लोग मनाते हैं शोक, 13 दिन बाद लखेलते है होली
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प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ सदियों से चली आ रही परंपरा पर आज भी प्रतापगढ़ जिला कायम है। देशभर में होली के अगले दिन रंगों का पर्व धूलंडी मनाया जाता है, लेकिन आदिवासी बाहुल्य प्रतापगढ़ जिले में आदिवासी समुदाय आज भी 500 साल से चली आ रही पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए होली के अगले दिन धुलंटी पर रंग नहीं खेलता है। इतिहासकार डीडी सिंह राणावत ने जानकारी देते हुए बताया पूर्व राजघराने में शौक के चलते होली के 12 दिन बाद रंग तेरस पर रंगों का पर्व प्रतापगढ़ में मनाया जाता है। इस परंपरा पर आज भी प्रतापगढ़ के लोग कायम है। इतिहासकार राणावत ने बताया होली की रात्रि में राज परिवार के प्रमुख मुखिया की मृत्यु होने के चलते जिले के आसपास क्षेत्र जैसे चित्तौड़, उदयपुर के कुछ इलाकों में होली के दूसरे दिन धुलंडी पर रंगों की होली नहीं खेली जाती है।
राजघराने की परंपरा के अनुसार उस समय राजा और प्रजा दोनों में अपने आपसी सामंजस्य तालमेल का पारिवारिक व्यवहार रखते थे। जिसका शोक आज भी प्रतापगढ़ में होली के दूसरे दिन देखने को मिलता। होलिका दहन के 12 दिन बाद लोक परंपरा के अनुसार गैर नृत्य इसके साथ ही फूलों और गुलाल से होली खेली जाती है। इसमें रंग नृत्य और आदिवासी संस्कृति का अनूठा समावेश देखने को मिलता है। जिले के धरियावद उपखंड में तुलंदी के दिन ढूंढो उत्सव होता है इसी तरह बारावरदा क्षेत्र में होली के अगले दिन गैर खेलकर होली के साथ फेरे लगाए जाते हैं। निकटवर्ती टांडा और मानपुरा गांव में लट्ठमार होली खेली जाती है, जिसमें पुरुष साल में एक बार महिलाओं के सम्मान में अपनी पीठ पर महिलाओं के हाथों लाठिया खाते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं।
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