राजस्थान

नो कंस्ट्रक्शन जोन में नगर निगम की सलेक्टिव कार्रवाई से लोग हैरान

Admin Delhi 1
21 Nov 2022 10:34 AM GMT
नो कंस्ट्रक्शन जोन में नगर निगम की सलेक्टिव कार्रवाई से लोग हैरान
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अजमेर न्यूज़: क्या जनहित में जारी अदालती आदेश केवल आम आदमी पर लागू होते हैं? क्या सरकारी एजेंसियांं नियम कायदे ताक पर रखकर काम करने के लिए स्वतंत्र हैं? क्या अवैध निर्माण और अतिक्रमण करने वालों पर ही कानून कार्रवाई करने की इजाजत देता है? जिन सरकारी कारिंदों की सरपरस्ती में ये अवैध निर्माण और अतिक्रमण होते हैं उनके सारे गुनाह और अपराध माफ हैं? उनके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं होती? आनासागर के नो कंस्ट्रक्शन जोन में अवैध निर्माताओं और अतिक्रमियों के विरुद्ध बीते एक पखवाड़े से चल रहे अभियान में यह सवाल उठ खड़े हुए हैं क्योंकि नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित होने के बाद ये निर्माण एक दिन या एक रात में नहीं हुए हैं। बल्कि निगम के कर्णधारों की मिलीभगत और सरपरस्ती में ही हुए हैं। सवाल यह है निगम उन जिम्मेदार अधिकारियों और कार्मिकों को चिह्नित कर उनके विरुद्ध कार्रवाई अमल में क्यों नहीं लाता, जिन्होंने ये निर्माण होते वक्त इन्हें रोका नहीं?

सवाल यह भी है कि नगर निगम ने नो कंस्ट्रक्शन जोन में स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा किए गए अवैध निर्माणों को देख आंखें क्यों मूंद रखी हंै? नो कंस्ट्रक्शन जोन में ही स्मार्ट सिटी कंपनी ने सेवन वंडर्स व चौपाटी का निर्माण क्यों कराया है। क्या नो कंस्ट्रक्शन जोन की बाध्यता से स्मार्ट सिटी कंपनी मुक्त है? इन सवालों का जवाब पूछने पर निगम के अधिकारियों सहित जिला प्रशासन तक ने चुप्पी साध रखी है।

प्रसंगवश, नगर निगम ने शनिवार को आपणी ढाणी रेस्टारेंट को जमीन दिखाने की जो कार्रवाई की है। वह राजस्व ग्राम थोक तेलियान के खसर नंबर 228 में स्थित है। इस खसरे की भूमि को एडीए ने वेटलैंड के लिए अवाप्त करने की अधिसूचना जारी की तो खातेदार जितेन्द्र सिंह ने अवाप्ति को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती देने के साथ ही स्टे का प्रार्थना पत्र पेश किया तो न्यायालय ने स्टे दे दिया, जो अब तक प्रभावी है। आपणी ढाणी के संचालक प्रकाश चौधरी का आरोप है कि निगम प्रशासन ने स्टे के बावजूद पहले उसका रेस्टोरेंट सीज किया और फिर जेसीबी से जमीन दिखा दी। जबकि उसने नो कंस्ट्रक्शन जोन में हुए निर्माण को लेकर उसे मिले नोटिस के जवाब के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय के स्टे की प्रति संलग्न की थी। उसने बताया कि शनिवार को जब निगम का दल आपणी ढाणी को तोड़ने पहुंचा तो दल को उच्च न्यायालय से मिले स्टे की जानकारी दी। लेकिन अधिशासी अभियंता नाहरसिंह और राजस्व अधिकारी पवन मीणा ने उससे कहा, यह स्टे उसने नहीं जितेन्द्र सिंह ने ले रखा है। जबकि मौके पर तुम खुद अवैध रूप से रेस्टोरेंट चला रहे हो। वहां मौजूद उसके वकील दिलीप शर्मा ने जब निगम अधिकारियों को तर्क दिया कि स्टे खसरे पर है इसलिए इस खसरे पर किसी भी तरह की कार्यवाही विधिसम्मत नहीं होगी। लेकिन निगम अधिकारियों ने उसकी नहीं सुनी और रेस्टोरेंट को जमीन दिखा दी।

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