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अलवर। जिले के रामगढ़ क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर आज पटवारी संघ, खनन विभाग और पुलिस आमने-सामने हो गए। यह विवाद बगड़ राजपूत में खातेदारी के खसरा नंबर 468 में अवैध खनन को लेकर हुआ। जहां खातेदारी भूमि में 40 फीट गहरा गड्ढा मिला। लेकिन इसकी भनक किसी को नहीं लगी। बीते बुधवार को अवैध खनन की शिकायत पर जांच के लिए खनन अधिकारी और एमआईए थाना अधिकारी मौके पर हल्का पटवारी के साथ पहुंचे। इसी बात को लेकर दोनों में विवाद हो गया।
यह विवाद इतना बढ़ गया कि एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। एक तरफ राजस्व कर्मी हल्का पटवारी मोहम्मद हनीफ ने एमआई थानाधिकारी बनवारी मीणा और खनन अधिकारी राजेंद्र सिंह पर खाली कागजों पर हस्ताक्षर का दबाव बनाने का आरोप लगाया है। इसके लिए पटवारी की ओर से संघ के साथ मिलकर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। इसे लेकर थानाधिकारी और खनन अधिकारी पर कार्रवाई करने की मांग की है।
वहीं दूसरी तरफ थानाधिकारी बनवारी मीणा का कहना है कि खातेदारी की 0.30 हैक्टेयर कृषि भूमि में अवैध खनन कर 40 फीट गहरा गड्ढा कर दिया गया लेकिन इसकी भनक हल्का पटवारी को लगी ही नहीं। ये कैसे संभव हो सकता है। दूसरी तरफ एसएचओ का कहना है कि अवैध खनन की जांच के लिए हम हल्का पटवारी मोहम्मद हनीफ को मौके पर लेकर गए थे। क्योंकि मामला खातेदारी की कृषि भूमि का है। इसलिए पटवारी से मौके पर ही तैयार मौका नक्शा पर हस्ताक्षर करने को कहा था। लेकिन पटवारी अपनी जिम्मेदारी से बचने का बहाना दे रहे है । जिसके चलते उसने मौका नक्शा पर हस्ताक्षर करने से ही मना कर दिया।
विवाद को लेकर पटवार संघ उपशाखा रामगढ़ के नेतृत्व में तहसील के पटवारियों ने एसडीएम अमित कुमार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि थानाधिकारी व खनन अधिकारी पटवारी मोहम्मद हनीफ से सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा रहे थे। हस्ताक्षर नहीं करने पर उन्होंने बाड़मेर ट्रांसफर करवाने की धमकी भी दी। एसडीएम अमित कुमार बैरवा का कहना है खातेदारी जमीन में अवैध खनन या अन्य गतिविधि को लेकर प्रथम जिम्मेदारी राजस्व विभाग की बनती है। अवैध खनन के मामले में खनन विभाग भी कार्रवाई कर सकता है।
थानाधिकारी बनवारी लाल मीणा का कहना है कि जुलाई महीने में खनन विभाग ने मुकदमा दर्ज कराया था। संयुक्त जांच के लिए पटवारी को लेकर गए थे। खातेदारी की कृषि भूमि खसरा नंबर 468 में 40 फीट गहरा गड्ढा कर दिया गया। जिसे छिपाने के प्रयास मौके पर देखने को मिले। जिसमें बिजली के खंभे भी लगभग गिरने की हालत में थे। कोई भी हादसा हो सकता था। पटवारी को मौके पर अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो गया था। शायद इसके बचाव में उसने मौका नक्शा पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। अब अगर वह हम पर ही धमकी देने का आरोप लगा रहा है। तो सहज ही समझा जा सकता है कि अवैध खनन उसकी मिलीभगत से ही हुआ है।
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