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भरतपुर। भरतपुर मरीज को हॉस्पिटल ले जा रही वैन कीचड़ में फंस गई। इतने में मरीज की हालत इतनी बिगड़ी कि उसकी जान चली गई। 200 साल पुराने गांव में पक्की सड़क नहीं है। खेतों से होकर जाने वाली कच्ची सड़क पर कीचड़ इतनी थी कि वैन फंस गई। बाद में ट्रैक्टर की मदद से वैन को बाहर निकाला गया। गुस्साए परिवार वालों ने मथुरा-भरतपुर हाईवे पर शव रखकर जाम लगा दिया। मामला भरतपुर के उद्योग नगर इलाके का है। उद्योगनगर थाना इलाके के नगला माना गांव के रहने वाले पूरण सिंह (58) की तबीयत सोमवार सुबह बिगड़ गई। वह अस्थमा से पीड़ित थे। हड़ताल के कारण कोई भी एंबुलेंस वाला आने को तैयार नहीं हुआ। परिवार वालों ने किसी तरह गांव के ही एक व्यक्ति की ईको वैन किराए पर लिया। इसी वैन से पूरण सिंह को लेकर भरतपुर के आरबीएम हॉस्पिटल के लिए चले।
पूरण सिंह के भाई रोहताश ने बताया- 200 साल पहले का नगला माना गांव है। गांव में पक्की सड़क नहीं है। खेतों के बीच बने रास्ते से शहर जाते हैं। गांव से हाईवे तक करीब 8 किमी की सड़क पर बारिश में कीचड़ हो जाता है। सोमवार सुबह पूरण को अस्थमा का अटैक आया। सुबह 8 बजे उसे मैं और धर्मवीर (पूरण का भतीजा) ईको वैन से शहर के आरबीएम हॉस्पिटल लेकर जा रहे थे। गांव से भरतपुर जाने वाले रास्ते में इतना कीचड़ और गड्ढे थे कि ईको का पहिया गड्ढे में फंस गया। गाड़ी को को निकालने की भरपूर कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। वैन में पूरण की तबीयत लगातार बिगड़ती गई। उसे हम समय पर हॉस्पिटल नहीं पहुंचा सके और उसने दम तोड़ दिया।
वैन फंसने की सूचना गांव वालों को मिली। बड़ी संख्या में गांव से मौके पर लोग आ गए। ट्रैक्टर की मदद से वैन को बाहर निकाला गया। इस दौरान गांव वालों में गुस्सा था। परिवार वालों के साथ मिलकर गांव वाले शव भरतपुर-मथुरा हाईवे पर ले गए। यहां जाम लगाकर प्रदर्शन करने लगे। दोपहर एक बजे तक गांव वाले हाईवे पर जमे रहे। इस दौरान करीब एक घंटा हाईवे पर गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह बंद रही। हाईवे जाम करने की सूचना पर भरतपुर एसडीएम सृष्टि जैन, भरतपुर ग्रामीण सीओ पिंटू कुमार और पीडब्लूडी के अधिकारी दोपहर 1 बजे मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिवार वालों को समझाया। परिवार वालों ने कहा कि रास्ता खराब होने के कारण पूरण की मौत हुई है। ऐसे में सरकार पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दे और गांव से शहर का पक्का रास्ता बनवाए। एसडीएम ने पीड़ित परिवार को बीमा क्लेम का 10 लाख रुपए दिलाने और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया। इसके बाद परिजन शव को लेकर भरतपुर के आरबीएम हॉस्पिटल ले गए, जहां पोस्टमॉर्टम किया गया।
पूरण किसान था। उसके पास 2 बीघा जमीन थी। परिवार में पत्नी अनीता (45), तीन बेटियां श्यामवती (12), प्रीति (10) और खुशी (8) हैं। बड़ी बेटी श्यामवती दिव्यांग है। ग्रामीणों ने बताया- नगला माना गांव की आबादी करीब 700 है। यह रियासतकालीन भरतपुर का पुराना गांव है। चारों ओर खेत होने के कारण गांव तक जाने वाले कच्चे रास्ते पर हर साल बारिश में कीचड़ हो जाता है। इसमें से गाड़ियों को निकालने में काफी परेशानी होती है। उधर, जानकारी यह भी मिली कि गांव के लिए रोड बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है। 6 करोड़ रुपए का बजट भी मिला है। कुछ लोग खेतों से होकर रास्ता देने को तैयार नहीं हैं, इसलिए सड़क नहीं बन पाई है।
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