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अजमेर। स्व. सुरेश शर्मा स्मृति, पंडित आत्माराम व्यास जन्म शताब्दी वर्ष समारोह समिति एवं केशव माधव परमार्थ मण्डल, अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को सायं 7 बजे से पूज्य गुरूजी अश्विन पाठक द्वारा भव्य सुंदरकांड पाठ का आयोजन हरिभाउ उपाध्याय नगर स्थित दाहरसेन स्मारक, अजमेर पर हजारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं से पूरा पंडाल खचाखच भर गया उपस्थित लोगों में भारी उत्साह और आस्था देखने को मिली। सर्वप्रथम अश्विन पाठक महाराज ने भगवान श्री राम दरबार की तस्वीर के समक्ष पूजा अर्चना के पश्चात अपने आसन को प्रणाम किया। पाठक जी महाराज का किशनानी व दाधीच परिवार ने स्वागत किया।
पाठक महाराज ने कहा कि लगातार बिना रुके सुंदरकांड का पाठ वर्षों से किया जा रहा है उन्होंने कहा कि सुंदरकांड ऐसी उपासना है जो आदि व्याधि से बचाव कर करता है एवं शाश्वत शांति की अनुभूति करने वाली उपासना सुंदरकांड है। पाठक जी ने कहा कि भक्ति अपनी श्रद्धा और आस्था से होती है ना कि किसी के कहने से। उन्होंने कहा कि समाज का परिवर्तन विश्व देख रहा है, भक्तों से प्रार्थना करते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में कितनी ताकत है यह बताने के लिए उन्होंने सुंदरकांड और रामायण का उदाहरण देते हुए बताया कि सीता माता ने हनुमान जी को अमरता का वरदान दिया था, इसलिए हनुमान जी आज भी युग में चिरंजीवी है सुंदरकांड जीवन के मूल्य की कथा है। उन्होनें कहा कि अगर जीवन में उतारना है तो दो शब्दों ‘‘छोटा बनो’’ का सहारा लेना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हर जगह हर पल में और अहंकार का टकराव हो रहा है अपने जीवन में से मैं निकाल दो पूरा सुंदरकांड आ जाएग। पाठक जी ने कहा होलिया जलती है लोग तमाशा देखते हैं। पाठक जी महाराज ने सुंदरकांड पाठ का प्रारंभ नारायण की धुन से किया।
कार्यक्रम संयोजक कंवल प्रकाश ने बताया स्मारक के उद्यान को आयोध्या नगरी में लव-कुश माता जानकी-कौशल्या खण्ड में 2121 आसन पर कुल 5000 से ज्यादा श्रद्धालु ने सामुहिक सुंदरकांड पाठ किया व पुस्तिका व अन्त में प्रसाद वितरण किया गया। गुरूजी अश्विन जी पाठक द्वारा पिछले 23 वर्षों से देश के विभिन्न राज्यों के शहरों, कस्बों, गावों, कई अन्य देशों में सामुहिक सुंदरकांड का पाठ 8522 दिन से लगातार निरंतर 8680वां पाठ का सम्पन्न हुआ।
मयंक दाधीच ने बताया कि भक्तजनों के लिए बड़ी एलईडी पदवेश व जल व्यवस्था, पार्किग, मेडिकल की विशेष टीम की व्यवस्था रही, कार्यक्रम के अंत में मोबाईल की टांर्च जलाकर आरती की गई।
ज्ञान सारस्वत, विजय तत्ववेदी, मनोज कुमार सैन, सुरेश माहेश्वरी, शंकर सिंह राठौड़, राजेश आचार्य, पूनित दाधिच, नटवर पाराशर, फूलचंद नोगिया, प्रमोद जैन, प्रहलाद दल त्रिपाठी, अनिल कुमार जोशी सुभाष काबरा, कमल खत्री, देवीलाल जांगिड़, शिवरतन वैष्णव, जितेन्द्र सिंह शेखावत, श्याम सुंदर सांखला, राजू लाला, राजेन्द्र प्रसाद मित्तल, महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, महेश शर्मा, नितराम कच्छावा, विमल काबरा, अमर सिंह पंवार, प्रकाश शाह, योगेश दत्त शर्मा, सुरेश टांक, के.जी.शर्मा, दिलीप वैष्णव, बालेश्वर त्यागी, अश्विनी, रिभव शर्मा, पूनम सिंह, सुमित गोयल दिनेश खटाना हिम्मत सिंह, राकेश वर्मा, अनिल सोनी, अनिल कुमार जोशी, मोहित तुनवाल सैनी, हिमांशु गहलोत, विष्णु झामनानी, राजेन्द्र कच्छावा, भैरूलाल गुर्जर, नौरतराम सैन, व परिवार सदस्यों के साथ केशव माधव परामर्थ मंडल के 250 से अधिक कार्यकर्त्ता उपस्थित थे।
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Harrison
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