राजस्थान
जयपुर सड़क हादसे का दर्द उजड़ी आठ परिवारों की खुशियां, 37 लोगों की मौत
Bhumika Sahu
23 May 2023 11:55 AM GMT
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जयपुर सड़क हादसे का दर्द उजड़ी आठ परिवारों की खुशियां
जयपुर; हरिद्वार में परिजनों की अस्थियां विसर्जित कर कोटखावदा लौटे एक परिवार के चार सदस्यों की सड़क दुर्घटना में हुई मौत ने जिले के सात परिवारों के मन में अपनों की यादें ताजा कर दी हैं। जयपुर जिले में पिछले एक साल में कोटखावदा समेत 6 सड़क हादसों में 8 परिवार उजड़ गए और 37 लोगों की जान चली गई। खास बात यह है कि हादसों का शिकार हुए दो परिवार अपने रिश्तेदारों की अस्थियां विसर्जित कर लौट रहे थे। कुछ परिवार धार्मिक स्थलों पर गए तो कुछ अपने परिवार के साथ घूमने गए।
इनमें सामोद, गोविंदगढ़, फागी और कोटखावड़ा के परिवार शामिल हैं। अब इन परिवारों में केवल दर्द, सांत्वना और अपनों को खोने का गम ही बचा है। कोटखावदा में रविवार को हुए सड़क हादसे में अपनों को खोने वाले कई लोगों की खबर पढ़कर वे रोने लगे. जानकारी के मुताबिक एक साल में जयपुर ग्रामीण क्षेत्र के कई पूरे परिवार सड़क हादसों में उजड़ गए हैं। अलग-अलग स्थानों पर हुए 6 हादसों में 8 परिवारों की 37 लोगों की जान चली गई है। कोटखावदा में सड़क हादसे की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। सामोद में इसी साल तीन परिवारों का पूरा परिवार उजड़ गया।
वहीं, एक साल पहले पिता की अस्थियां सामोद में विसर्जित करने हरिद्वार गया परिवार भी सड़क हादसे में मौत का ग्रास बन गया। सुबह जब तीनों परिवारों के जीवित बचे लोगों ने कोटखावदा में हुए हादसे की खबर सुनी और पढ़ी तो अपनों को खोने की बात याद कर रो पड़े। अपनों को याद करके जागे। 17 मई 2022 को रिश्तेदारों की अस्थियां हरिद्वार में विसर्जित कर लौटते समय सामोद के रेगर मोहल्ला निवासी बीना देवी का पूरा परिवार हरियाणा के रेवाड़ी में सड़क हादसे में तबाह हो गया।
हादसे में पति समेत अन्य को खोने वाली बीना देवी के पास कोई सहारा नहीं बचा है। बीना ने बताया कि उसके दो छोटे बच्चे हैं। हादसे में पति समेत पांच लोगों को खोने के बाद अब परिवार की सारी जिम्मेदारी उस पर है। वह चौमूं शहर के एक निजी अस्पताल में नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रही है। कोटखावदा कस्बे में 21 मई को सड़क किनारे बैठे एक परिवार के छह सदस्यों को अनियंत्रित जीप ने टक्कर मार दी थी. जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई। इस परिवार के सदस्य अपने रिश्तेदारों की अस्थियां विसर्जित कर हरिद्वार आए थे।
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