जोधपुर न्यूज़: राजस्थान उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपी को शर्तों का पालन नहीं करने पर पूर्व में दी गई जमानत को खारिज कर दिया और आरोपी को न्यायिक हिरासत में लेने का निर्देश दिया। न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की एकल पीठ में याचिकाकर्ता डिंपल देवड़ा की ओर से अधिवक्ता निखिल भंडारी ने जमानत नामंजूरी अर्जी पर बहस करते हुए कहा कि आरोपी मनीष कुमार प्रसाद को पहले उच्च न्यायालय ने इस शर्त पर जमानत दी थी कि उसे जेल से रिहा। एक लाख 60 हजार रुपये की बकाया राशि दो माह के भीतर याचिकाकर्ता को देंगे। समय सीमा समाप्त होने के बावजूद शर्त पूरी नहीं होने पर अर्जी पेश की गई, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी। परिवादी ने अपने अधिवक्ता निखिल भंडारी के माध्यम से आरोपी मनीष कुमार प्रसाद के विरूद्ध राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में जमानत नामंजूर करने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था।
अधिवक्ता निखिल भंडारी ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि आरोपी ने शिकायतकर्ता डिंपल देवड़ा को जेल से छूटे तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी एक पैसा भी नहीं दिया है. इस कारण आरोपी द्वारा उच्च न्यायालय के दिनांक 22 जनवरी 2020 के जमानत आदेश का जानबूझकर उल्लंघन किया गया है। इस वजह से अब उनकी जमानत खारिज की जानी चाहिए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर ने अधिवक्ता निखिल भंडारी की दलीलों से सहमत होते हुए आरोपी मनीष कुमार प्रसाद को पूर्व में मिली जमानत को खारिज करते हुए राजस्थान सरकार को आरोपी को न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया.