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राजस्थान | एक तरफ संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने संस्कृत विद्यालय खोलकर बच्चों को जोड़ने का प्रयास किया लेकिन विद्यालयों में रिक्त पद कारण नामांकन बढ़ने के बजाय घट रहा है। ऐसे में जनजाति छात्रों के साथ संस्कृत शिक्षा के नाम पर खिलवाड़ हो रहा हैं। जिले में कुल 10 संस्कृत विद्यालय हैं, सभी में अध्यापकों की कमी के चलते छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर दूरदराज के स्कूलों में जाने का विवश हो रहे हैं।
जिला मुख्यालय पर संस्कृत शिक्षा का जिला कार्यालय व विद्यालय भी नहीं है। वहीं एक भी विद्यालय में व्याख्याता नहीं होने से कक्षा 11 व 12 के छात्रों के अध्ययन में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं।
प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और प्रवेशिका विद्यालयों में संस्थाप्रधान, अध्यापक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बड़ी संख्या में लंबे समय से पद रिक्त चल रहे हैं। जिले से दस संस्कृत स्कूलों में कुल 50 पद स्वीकृत होने के बाद मात्र 18 शिक्षक ही कार्यरत हैं व कुल 32 पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं और दस स्कूलों में नामांकन घट कर सवा पांचों से का रह गया हैं।
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Harrison
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