राजस्थान में एक बार फिर से घमासान शुरु हो चुका है। कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को जिस प्रकार सचिन पायलट 2019 चुनौती दे चुके है। तब 28 विधायकों के साथ सचिन पायलट ने गहलोत सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाये थे। सूबे में कांग्रेस की सरकार बनने के पीछे गुर्जर वोटों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। पायलट गुर्जर वोटरों का नेत्रत्व करते है जबकि अशोक गहलोत औबीसी वोटरों का नेत्रत्व करते है। क्योंकि अशोक गहलोत स्वयं माली समाज से आते है। और औबीसी वोटरों का इनको साथ मिलता है। इस गुर्जर औबीसी समीकरण के साथ राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार बनी थी। राजस्थान में 30 से 40 सीटो पर सीधे गुर्जर वोटो का प्रभाव रहता है। जिसे नजरअंदाज नही किया जा सकता है। लेकिन अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच हमेशा तलवार खीची रहने के कारण कांग्रेस को इसका खामयाजा भुगतना पड़ता है। .यह कांग्रेस के लिए दो धारी तलवार पर चलने के जैसा है। पिछली बार सचिन पायलट से कांग्रेस को चुनौती मिल रही थी। लेकिन बदली परिस्थिती में अशोक गहलोत की तरफ से चुनौती मिल रही है।
बीजेपी के लिए अवसर
कांग्रेस को दोनों तरफ से मिल रही चुनौती का सामना करना इस लिहाज से भी मुश्किल हो जाता है, कि बीजेपी भी अवसर की तलाश में लगी रहती है। इस प्रकार के अवसरों पर बीजेपी पहले भी सचिन पायलट को अपने खेमे में लाने के लिए कौशिश कर चुकी है। सचिन पायलट के पीछे हटने के बाद बीजेपी स्वयं रास्ते से हट गई थी। इस बार भी बीजेपी के नेताऔं की तरफ से ऐसे बयान सामने आ रहे है। जिससे लग रहा है, कि सचिन को बीजेपी अपने साथ मिलाने के लिए आतुर है। राजस्थान में पिछली सरकार बीजेपी की रही थी जिसमें वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थी। 2018 में राजस्थान में हुए विधान सभी चुनावों में बीजेपी कोई खास कमाल नही दिखा सकी। राजस्थान में 200 विधान सभा सीटों में से बीजेपी के खाते में केवल 75 सीटें आई थी। जिसका नुकसान बीजेपी को वसुंधराराजे की सरकार खोकर चुकाना पड़ा था।
विधानसभा में नम्बर गेम
अशोक गहलोत समर्थित 80 से 85 विधायक विधानसभा स्पीकर को इस्तीफा सौंप चुके है। जिसकी वजह से राजस्थान में राजनीतिक अस्थिरता आ गई है। इस समय राजस्थान में कांग्रेस के 108 विधायक है। जिसमें से लगभग 25 विधायक सचिन के खेमें में है। और बाकि गहलोत खेमें के विधायक है, जो इस समय इस्तीफा दे चुके है। इसके अलावा कांग्रेस की गहलोत सरकार में अन्य छोटे-छोटे दल भी शामिल थे। जिसमें राष्ट्रीय लोक दल से 1 और 12 विधायक निर्दलीय शामिल थे। इस प्रकार कांग्रेस की गहलोत सरकार राजस्थान में चल रही थी।
क्या राहुल निकाल पाएंगे कांग्रेस को भवंर से बाहर
कांग्रेस के लिए इस समय एक तरफ कुंआ और एक तरफ खाई की स्तिथि बनी हुई है। यदि गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बन जाते है। तब ऐसी स्तिथि में राजस्थान में कांग्रेस के लिए अपनी सरकार बचाना मुश्किल हो जायेगा। क्योंकि गहलोत सचिन पायलट की राजस्थान में किसी भी कीमत पर सरकार नही बनने देंगे। और यदि गहलोत को मुख्यमंत्री बनाये रखती है। तो सचिन इसके लिए तैयार नही होंगे। इस लिए राजस्थान में दोनों तरफ से बात तलवार खिंच चुकीं है। कांग्रेस के लिए ऐसे समय में राहुल गाँधी अहम रोल निभा सकते है। लेकिन राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे है ऐसे में उनका दखल भी सम्भव नही लग रहा है
न्यूज़ क्रेडिट: dnpindiahindi