NSUI का कोटा के छात्रसंघ चुनावों में आज तक कभी नहीं खुला हैं खाता
कोटा न्यूज़: दो साल बाद हो रहे छात्रसंघ चुनाव के लिए आज राजस्थान यूनिवर्सिटी में आज वोटिंग शुरू हो गई है। इसके साथ ही शोध, महारानी, महाराजा, और अन्य संघटक कॉलेज के अध्यक्ष प्रत्याशियों के मतदान भी शुरू हो चुके है। वोटर यानी की छात्र अपने मनपसंद नेता को चुने के लिए जहाँ पोलिंग बूथ पर आ रहे है तो वहीँ एक अंतिम प्रयास करते हुए प्रत्याशी और उनके समर्थक वोटरों के सामने दंडवत तक हो रहे है और उनके पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे है। मालूम हो की वोटिंग दोपहर एक बजे तक चलेगी जबकि मतगणना कल की जाएगी। इसी कड़ी में IIT नगरी कोटा में भी मतदान शुरू हो चुका है। हालॉंकि मतदान शुरू होने के शुरुआती आधे घंटे के दौरान तो कम ही वोटर देखने मिले। प्रत्याशी हालाँकि इस दौरान लगातार कॉलेज कैंपस के बाहर से ही अपने पक्ष में वोटिंग की अपील करते रहे। हालाँकि समय समय के साथ साथ वोटर भी धीरे धीरे वोट देने आने लगे और देखते ही देखते अब कोटा यूनिवर्सिटी में वोट देने के लिए छात्रों की लाइन लग गई है। इस दौरान किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो इसका ख्याल करने के लिए भरी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद है। इन सबके बीच आज कोटा यूनिवर्सिटी के बाहर नारेबाजी कर रहे प्रत्याशियों के समर्थकों को पुलिस ने हिदायत देते हुए कैंपस से दूर भेज दिया। कोटा में जेडीबी कॉमर्स कॉलेज में ABVP व NSUI के बीच में सीधा मुकाबला है। इसके अलावा कोटा यूनिवर्सिटी समेत अन्य कॉलेजों में निर्दलीय प्रत्याशी ABVP को कड़ी टक्कर दे रहे है यहाँ तक की कुछ जगहों पर तो निर्दलीय ABVP से अधिक मजबूत स्थिति में है। इसी के चलते कोटा में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष देखने मिल रहा है।
कोटा यूनिवर्सिटी से ये मैदान में: यहाँ पर अध्यक्ष पद के लिए ABVP की अंतिमा नागर और निर्दलीय अजय पारेता के बीच में मुकाबला है।कोटा यूनिवर्सिटी में 589 वोटर है। अजय पारेता को पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष के गुट ने चुनावी रण में उतारा है। और यहाँ पर वे ABVP से अधिक प्रभावशाली दिखाई पड़ रहे है। अबतक की बात करे तो यहाँ पर साल 2010 से चुनाव हो रहे है और अबतक हुए 10 में से 6 चुनावों में ABVP ने बाजी मारी है। जबकि 3 बार निर्दलीय प्रत्याशीयो ने सफलता हासिल की है। जबकि NSUI के खाते में एक भी जीत यहाँ पर दर्ज नहीं हो पाई है। देखना दिलचस्प होगा की क्या इस बार NSUI यहाँ पर अपना खाता खोल पाती है या एक बार फिर से उसे संतोष करना पड़ेगा।