जयपुर:अब प्रदेश सरकार भ्रष्टाचारियों के नाम उजागर नहीं करेगी। इस संबंध में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त महानिदेशक प्रथम हेमंत प्रियदर्शी ने बुधवार को आदेश जारी किए हैं। प्रियदर्शी को ब्यूरो के महानिदेशक का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। ब्यूरो के इतिहास में ऐसा फैसला पहली बार हुआ है। ब्यूरो की ओर से समस्त चौकी प्रभारियों, यूनिट प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ट्रेपशुदा आरोपी, संदिग्ध नाम और रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किए व्यक्ति के फोटो को तब तक सार्वजनिक नहीं करेगी, जब तक आरोपियों का न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध नहीं हो जाता है। खासतौर से आदेश में मीडिया के लिए यह पाबंदी लगाई गई है। आदेश के अनुसार आरोपी का फोटो, नाम, मीडिया या अन्य किसी व्यक्ति, विभाग में सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। आरोपी के विभाग का नाम और उसके पदनाम की सूचना ही सार्वजनिक की जाएगी। अगर इस आदेश की अवहेलना की जाती है, तो इसकी समस्त जिम्मेदारी ट्रेपकर्ता अधिकारी और अनुसंधान अधिकारी की होगी।
तीन महीने पहले की थी समीक्षा:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन महीने पहले ही 4 अक्टूबर को झालाना स्थित एसीबी के मुख्यालय में अचानक उसके कामकाज की समीक्षा की थी। उस दिन उन्होंने कहा था कि राजस्थान एसीबी की कार्यशैली की सराहना देश में हो रही है। एसीबी द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ निरंतर अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है।
जीरो टॉलरेंस का नारा है सीएम का:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दावा है कि संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेह सुशासन हमारी सरकार का मूल मंत्र है। सरकार द्वारा राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर सख्त निर्णय लिए जाएंगे। हमारी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुरूप ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो लगातार कार्रवाई करेगी। उन्होंने आय से अधिक संपत्ति एवं पद के दुरूपयोग के प्रकरणों में विशेष कार्रवाई करने के निर्देश भी दे रखे हैं।
घूसखोरों के लिए एसीबी लिख रही लोकसेवक:
एसीबी ने बुधवार को तीन-तीन हजार रुपए घूस लेते ट्रैप हुए नागौर जिले में लिचाना और गोगोर के दो एएनएम के नाम जारी करने के बजाय उन्हें अपने प्रेसनोट में दो लोकसेवक लिखा है।
अब यह होगा असर:
राज्य सरकार के इस कदम से घूसखोरों में खौफ कम हो जाएगा। उनमें बदनामी का डर भी खत्म हो जाएगा। इसके साथ उनके बारे में आमजन को कोई जानकारी नहीं होगी। जो लोग भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ रहे हैं या शिकायत दर्ज कराने का हौसला रखते हैं, वे पस्त हो जाएंगे। इससे प्रदेश में घूसखोरी बढ़ेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में एक आदेश दिया था कि किसी भी आरोपी की पब्लिक या मीडिया परेड नहीं करवाई जाए, जब तक वह कोर्ट से दोषी नहीं ठहरा दिया जाए। सीबीआई भी ऐसा ही कर रही है, वह किसी भी आरोपी का नाम या अन्य कोई पहचान उजागर नहीं करती हैं।
- हेमंत प्रियदर्शी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, एसीबी जयपुर
इस तरह का आदेश जारी करना राज्य सरकार का विशेषाधिकार है, लेकिन यह सिर्फ एक प्रकृति विशेष के अपराध के लिए ही नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा आदेश जारी किया है तो आईपीसी के अन्य अपराधों दुष्कर्म, चोरी, हत्या सहित अन्य मामलों के आरोपियों का नाम भी अदालत की ओर से दोष सिद्ध किए जाने तक सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।
- प्रतीक कांसलीवाल, अधिवक्ता
भ्रष्टाचारी तो समाज में बेनकाब होना चाहिए। इससे बड़ी सजा उसके लिए और क्या होगी, लेकिन सरकार की यह घूसखोरों पर पर्दा ड़ालने की पराकाष्ठा है।
- सतीश पूनिया, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा
ट्रेप करने का अभिप्राय ही यह होता है कि घूसखोरों की जानकारी सभी को हो, उसे सामाजिक शर्मिन्दगी उठानी पड़े। कोर्ट की कार्रवाई तो बाद की बात है। लगता है सरकार घूसखोरों को भयमुक्त करना चाहती है, ताकि जमकर भ्रष्टाचार करें। इस आदेश से तो एसीबी का डर ही खत्म हो जाएगा। अंदरखाने कौन पकड़ा गया और कौन छूट गया, किसी को पता ही नहीं चलेगा।
- गुलाबचंद कटारिया, नेता प्रतिपक्ष