झुंझुनूं: अब विद्यालय मनमर्जी से सत्रांक नहीं दे पाएंगे। पीईईओ स्तरीय शिक्षक के सत्यापन के बाद ही सत्रांक आगे भेजे जाएंगे। सत्रांक के नम्बर बोर्ड परीक्षा के अनुपात में अधिक आए तो माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से इसकी जांच करवाई जाएगी। इसके साथ ही विद्यालय को तीन वर्षों तक अर्द्धवार्षिक और परख की कॉपियों को सुरक्षित रखना होगा। जिसे उस जिले की डाइट स्टाफ की ओर से कभी जांच कराई जा सकती है। जिस प्रकार प्रायोगिक परीक्षा में बाह्य परीक्षक का प्रावधान है, उसी प्रकार सत्रांक के अंतिम अंग्रेषण से पूर्व संस्था प्रधान उसी पीईईओ परिक्षेत्र से एक अन्य शिक्षक को लगाएगा। जो अंकों का मिलान कर, विषय अध्यापक के साथ एक हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र देगा कि परख एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा के अंकों के साथ बोर्ड को प्रेषित अंकों से मिलान कर लिया गया है। प्रमाण पत्र पर बाह्य परीक्षक, संस्था प्रधान एवं विषय अध्यापक के हस्ताक्षर होंगे। ऐसे प्रकरण जहां तीनों परख एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्राप्त अंकों के प्रतिशत और बोर्ड परीक्षा के अंक प्रतिशत के मध्य 50 प्रतिशत से अधिक अन्तर होगा। वे संदिग्ध माने जाएंगे। संस्था प्रधान को उक्त का तार्किक कारण स्पष्ट करना होगा। कारण सही न होने पर विभागीय कार्रवाई की जा सकेगी।
ये जांच के दायरे में आएंगे
कोई विद्यार्थी कक्षा 10 में पढ़ रहा है उसे एक विषय में सत्रांक 9 अंक ( तीनों परख एवं अर्द्धवार्षिक के कुल प्राप्ताक 91 के 10 प्रतिशत) अंर्जित हुए यानी 10 में से 9 पूरे नब्बे प्रतिशत। वहीं, दूसरी ओर सैद्धांतिक परीक्षा में 80 में से 30 अंक यानी 38.75 प्रतिशत। सत्रांक में 90 प्रतिशत और सैद्धांतिक में 38.75 प्रतिशत और दोनों में अन्तर 50 प्रतिशत से अधिक होने से यह प्रकरण जांच योग्य बनेगा।