पूरे देश में ऑर्ट्स ही नहीं, साइंस और कॉमर्स में भी लड़कों से आगे निकलीं बेटियां
जयपुर: देश ही नहीं लड़कियों की उच्च शिक्षा में राजस्थान में भी सुखद तस्वीर बन रही है। बीते दौर में लड़कियां कॉलेज शिक्षा में आॅर्ट्स विषय तक ही सीमित थी, लेकिन अब साइंस और कॉमर्स विषय की शिक्षा में भी लड़कियां काबिज हो रहीं हैं। देशभर में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में आॅर्ट्स के साथ अब साइंस और कॉमर्स पढ़ने में लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है। कमोबेश राजस्थान में भी लड़कियां इसी आंकड़े की ओर तेजी से बढ़ रही हंै। कॉलेज-यूनिवर्सिटीज में तो लड़कियां लड़कों से आगे निकल गई हैं। प्रदेश में 2005-06 में सामान्य उच्च शिक्षा में जहां प्रति 100 छात्राओं पर 63 छात्राएं हुआ करती थीं, वहीं अब कुल 1901 कॉलेज-यूनिवर्सिटी में प्रति 100 लड़कों पर 107 लड़कियां हैं। प्रदेशभर में विभिन्न संकायों में कुल 13,2,485 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इनमें से 51.70 फीसदी यानी 6,73,394 छात्राएं हैं। वहीं इनसे कम 48.30 फीसदी यानी 6,29,091 छात्र हैं। जबकि 2008-09 में केवल 1.63 लाख ही छात्राएं कॉलेज-यूनिवर्सिटीज में उच्च शिक्षा लेने आती थीं। यानी 13 में छात्राओं की संख्या 5.10 लाख यानी 4 गुना बढ़ी हैं।
भारत में पूरे देश में ग्रेजुएशन स्तर पर यह स्थिति:
लड़कियां आर्किटेक्चर, मेडिकल साइंस, जनरल मेडिसन, डेंटिस्ट्री औ फिजियोथैरेपी, आयुर्वेद, माइक्रोबायोलॉजी, जनरल सर्जरी, कार्डियोलॉजी आदि में भी लड़कों को पछाड़ चुकी हैं।
राजस्थान आर्ट्स में आगे, साइंस में 15,887 और कॉमर्स में 10,564 ही कम
राजस्थान में कला संकाय में 4.04 लाख लड़कों के मुकाबले 4.84 लाख लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं। जबकि विज्ञान वर्ग में 1,57,147 लड़कों के मुकाबले 1,41,2,60 लड़कियां विज्ञान पढ़ रही हैं। केवल 15,8,87 लड़कों से कम है। वाणिज्य संकाय में 48,098 लड़कों के मुकाबले 37,534 यानी केवल 10564 ही कम है।
बदले दौरे के 17 साल 15 साल लड़कों से ज्यादा एडमिशन हुए:
राजस्थान में पिछले 17 साल में छात्राओं की उच्च शिक्षा में दबदबा तेजी से बढ़ा है। उच्च शिक्षा विभाग के आंकड़ों की माने तो इस समयावधि में केवल दो साल के नए सत्रों में लड़कों का एडमिशन ज्यादा हुआ है। 15 साल लड़कियों की प्रवेश संख्या उनके मुकाबले ज्यादा रही हैं। वर्ष 2009-10 में 9.05 फीसदी छात्रों के नामांकन बढ़ोतरी के मुकाबले छात्राओं की 7.25 फीसदी और साल 2020-21 के दौरान छात्रों का नामांकन बढ़ोतरी 8.20 प्रतिशत थीं, जबकि छात्राओं का करीब एक तिहाई 2.61 फीसदी ही नामांकन बढ़ा। 2005-06 में रिकॉर्ड 11 गुना, 2010-11 में 9 गुना, 2011-12 में दो गुना, 2013-14 में 5 गुना, 2017-18 में डेढ़ गुना और बीते साल 2020-21 में नामांकन बढ़ोतरी लड़कों के मुकाबले रही है।