राजस्थान

पर्यावरण नियमों की अनदेखी पर NGT ने हिंदुस्तान जिंक पर लगाया 25 करोड़ का जुर्माना

Kunti Dhruw
7 Feb 2022 1:54 PM GMT
पर्यावरण नियमों की अनदेखी पर NGT ने हिंदुस्तान जिंक पर लगाया 25 करोड़ का जुर्माना
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भीलवाड़ा में पर्यावरण नियमों की अनदेखी करने पर वेदांता समूह की हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने 25 करोड़ का जुर्माना लगाया है।

भीलवाड़ा में पर्यावरण नियमों की अनदेखी करने पर वेदांता समूह की हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने 25 करोड़ का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पर्यावरण कानून के उल्लंघन को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। ऐसे में तो बिल्कुल नहीं जब पीड़ित गरीब ग्रामीण हैं और उल्लंघनकर्ता मौजूदा परियोजना प्रस्तावक (प्रिजेंट प्रोजेक्ट प्रोपोनेंट) से जुड़ी हुई संस्था हो।

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को तीन महीने के अंदर जिला डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष जुर्माने की रकम जमा करने का निर्देश दिए हैं। इलाके की भूमि और जल को हुए नुकसान का आकलन करने और उसे पुनर्स्थापित करने की योजना बनाने के लिए एनजीटी ने कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है। साथ ही कमेटी लोगों और पशुओं के स्वास्थ्य को हुए नुकसान का भी आकलन कर सुधार का काम भी करेगी। इस रिपोर्ट को भीलवाड़ा के जिलाधिकारी की वेबसाइट पर डाला जा सकता है।
स्थानीय लोग हमारे लिए अभिन्न अंग
कंपनी ने इस आदेश पर कहा कि हिंदुस्तान लिमिटेड कानून का पालन करने वाली संस्था है, वह हमेशा ऐसा करेगी। कंपनी ने कहा कि एनजीटी द्वारा नियुक्त की गई सात विशेषज्ञों की समित ने 90 लाख रुपए से पेड़ लगाने की सिफारिश की थी। हम इसका पालन करना चाहते थे। समिति की सिफारिशों का पालन करने के अलावा, पीपी को पिछले उल्लंघनों के लिए मुआवजे का प्रावधान करने और उपचार की लागत वहन करने की आवश्यकता के लिए एक मामला बनाया गया है। कंपनी ने कहा कि एनजीटी ने निर्देश दिया है कि कंपनी नई समिति के तहत लोगों के कल्याण के लिए 25 करोड़ रुपए खर्च करे। हमारे लिए स्थानीय लोग हमेशा ही सामाजिक पहलों का अभिन्न अंग रहे हैं और आगे भी रहेंगे।

टिप्पणियों के खिलाफ अपील दायर करेंगे
कंपनी ने यह भी कहा कि हम सामाजिक और आर्थिक कल्याण के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर 1,000 करोड़ की सीएसआर योजना के तैयार कर रहे हैं। आने वाले चार पांच साल में इसे लागू किया जाएगा। साथ ही हम जमीनी स्तर पर सामाजिक कल्याण के कार्य जारी रखेंगे। हम एनजीटी की कुछ टिप्पणियों के खिलाफ अपील दायर करेंगे। यह जमीनी हकीकत के बिल्कुल विपरीत हैं।

छह पंचायतों के लोगों ने दायर की थी याचिका
भीलवाड़ा की छह पंचायत भेरूखेड़ा, अगुचा, परसरामपुरा, कल्याणपुरा, कोठिया और बालपुरा के ग्रामीणों ने एनजीटी में याचिका दायर की है। इसमे कहा गया है कि करीब 12 सौ हेक्टेयर में हिंदुस्तान जिंक की खदान फैली हुई हैं। यह पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करती है। इन खादनों में हिन्दुस्तान जिंक की ओर से ब्लास्टिंग की जाती है, इससे पेयजल प्रदूषित होने के साथ साथ ग्रामीणों में दमा और चर्म रोग की समस्या हो रही है। ब्लास्टिंग से उठे धूलकण ग्रामीणों के घरों और खेतों में भर जाते हैं। इन खदानों द्वारा जहरीला पानी छोड़ा जाता है, इससे इलाका इतना प्रदूषित हो गया है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने इसे अधिसूचित क्षेत्र घोषित कर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने बेंच को खदनों से होने वाले गढ्ढों के फोटो भी दिखाए हैं।

कंपनी ने किया था आदेश का विरोध
एनजीटी ने 18 अगस्त 2020 को भीलवाड़ा कलेक्टर और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक संयुक्त जांच कमेटी बनाई थी। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने एनजीटी में एक याचिका दायर इस जांच कमेटी के आदेश का विरोध किया था। साथ ही एक स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन करने की मांग की थी। इसी मांग पर एनजीटी ने दूसरी कमेटी बनाई और इलाके में हुए नुकसान का आंकलन कर रिपोर्ट बनाने को कहा है।


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